गाज़ा पट्टी को उलटी दूरबीन से मत देखिए
एक औसत भारतीय के लिए गाज़ा बस सिर्फ एक नाम है। जमीन की पट्टी नहीं, बस टीवी स्क्रीन की एक छोटी सी पट्टी है। जैसे कारगिल या कच्छ। उसके लिए इजरायल एक देश का नहीं बल्कि एक द्वेष का नाम है, एक झगड़े का स्थल है। जैसे कश्मीर या मणिपुर। वह ना यहूदियों के बारे में कुछ जानता है ना ही फिलिस्तीनियों के बारे में। वह यहूदियों और ईसाइयों में भेद नहीं कर सकता। वो मुसलमान और गैर मुसलमान के चश्मे से इस मसले को देखता है। सच यह है कि अगर इस मसले में मुसलमान न दिखता तो इजराइल में आग लगने की भी खबर हमारे टीवी पर न आती।
जब दिमाग खाली हो और मन भरा हुआ हो तो विचित्र छवियों का निर्माण होता है। कल्पना की दूरबीन से इजराइल और फिलिस्तीन मुद्दे को देखने का यही परिणाम होता है। एक पक्ष मुस्लिम विरोध के चलते इजरायल के पक्ष में झूठी सहानुभूति जताता है तो दूसरा मुसलमान से हमदर्दी के चलते फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा हो जाता है। दूरबीन से टीवी के परदे पर खेले जाने वाले इस वीडियो गेम का ना तो ऐतिहासिक तथ्यों से कुछ संबंध है, न हीं आज के सच से। लेकिन यह खेल महज एक खेल नहीं है यह हमारे दिलों दिमाग में गहरी नफरत भर देता है। दूर देश में इंसानों के जीवन से खेले जा रहे एक खौफनाहक खेल में हम अनजाने ही शामिल हो जाते हैं। खून के कुछ छींटे हमारे ऊपर भी आ गिरते हैं।
कल्पना के इस खौफनाक खेल का मुकाबला सिर्फ इतिहास और तथ्यों से नहीं किया जा सकता। उसके लिए एक औसत भारतीय के पास समय और धीरज नहीं है। इस गुमराह करने वाली कल्पना के मुकाबले में एक नई कल्पना को विकसित करना होगा।
शुरुआत करते हैं एक देश की कल्पना से जो आकार में हरियाणा से आधा हो लेकिन आबादी में हरियाणा का एक तिहाई। जी बस इतना ही है इजराइल जिसमें कोई 90 लाख लोग बसते हैं जिनमें से 70 लाख यहूदी है और कोई 20 लाख अरब। गाज़ा पट्टी सिर्फ 10 किमी चौड़ी और 35 किमी लंबी जमीन है, बस दिल्ली शहर का एक तिहाई टुकड़ा। वहां कोई 20 लाख लोग बसते हैं। जरा सोचिए अगर इतने छोटे से प्रदेश पर पूरी दुनिया की तख्त अपने खेल खेलना शुरू कर दें तो उसकी क्या गत बनेगी?
कल्पना की दूरबीन को अब जरा बिहार की तरफ घुमाइए, गौतम के बुद्ध बनने की धरती बोधगया की तरफ। अब जरा कल्पना कीजिए की जापान और तिब्बत से विदेशी अगर आकर यह दावा ठोके की बोधगया हमारा पवित्र स्थल है और इस पर हिंदुओं को रहने का कोई अधिकार नहीं है। कल्पना कीजिए कि अगर वह बाहरी ताकतों के दम पर दलबल सहित पहुंच जाए और धार्मिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार पर बोधगया पर कब्जा कर ले, तो हमें कैसा लगेगा?
अगर आपको यह एक क्रूर मजाक लग रहा है तो समझ लीजिए की यही फिलिस्तीनियों की सच्चाई है। बेशक जेरूसलम यहूदियों का पवित्र स्थल है लेकिन वहां उनकी बसाहट नहीं थी। सैकड़ो साल से वहां फिलिस्तीन लोग बसे हुए थे। 20वीं सदी में यहूदियों के साथ यूरोप में अत्याचार करने के बाद अपराध बोध से ग्रस्त यूरोपीय ताकतों ने यहूदी झंझट से छुट्टी पाने के लिए उन्हें जबरदस्ती उस इलाके में जाकर बस दिया जिनसे उनका कोई जीवंत संबंध नहीं बचा था। साम्राज्यवादी बंदूक की नोक पर फिलिस्तीनियों की छाती पर यहूदियों को ले जाकर बसा दिया गया, उनकी मातृभूमि पर किसी और का देश बना दिया गया। सदियों से बसे हुए फिलिस्तीनी अपने ही पुरखों की जमीन में किरायेदार बन गए। अत्याचार के शिकार यहूदी अब फिलिस्तीनियों पर अत्याचारी बन गए।
कल्पना कीजिए कि अगर ऐसा कुछ बिहार में हो जाए तो क्या कुछ होगा? वहां के मूल निवासी इन बाहरी शासकों का कैसे स्वागत करेंगे? कैसा संबंध बनेगा मूल निवासियों और आप्रवासियों के बीच? यह काल्पनिक उदाहरण आपको इजरायल में यहूदियों और फिलिस्तीनियों के संबंध को समझने में मदद करेगा।
जरा सोचिए कि जिन बाहरी लोगों को दुनिया की तमाम ताकतों का समर्थन हो उसके खिलाफ मूल निवासी कैसा प्रतिरोध आयोजित करेंगे? यह सवाल आपको फिलिस्तीनियों की राजनीति समझने में मदद करेगा। उस स्थिति में बाहरी आ प्रवासियों के साथ शांतिमय तरीके से जीने की वकालत करने वालों की क्या स्थिति होगी? यह विचार आपके यासिर अराफ़ात की स्थिति समझने में मदद करेगा। क्या ऐसे में हिंसक विरोध की मांग नहीं उठेगी? आतंकवाद नहीं पानपेगा? यह सोच हमें हमास जैसे संगठनों के उद्गम को समझने में मदद करेगी। इस कल्पना से हम एस की हिंसा बर्बरता और आतंकवाद सही नहीं हो जाएगा मगर इतना समझ आने लगेगा की इस आतंकवाद की जड़े कहां है।
महात्मा गांधी ने 26 नवंबर 1938 को हरिजन में लिखा था, “फिलिस्तीन उसी तरह अरबों का है, जिस तरह इंग्लैंड अंग्रेजी का है या फ्रांस फ्रांसीसियों का है।” जब फिलिस्तीन के मुद्दे पर हमारी कल्पना की उल्टी दूरबीन सीधी हो जाएगी तो यह भी समझ आने लगेगा के हमास के आतंकी हमले के जवाब में इसराइल जो कर रहा है वह नरसंहार है, मानवता पर हमला है।
योगेन्द्र यादव
अध्यक्ष, स्वराज इंडिया| सदस्य,
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