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चरघरवा को उजाड़ने वालों के खिलाफ एफआईआर

by Samta Marg
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चरघरवा को उजाड़ने वालों के खिलाफ एफआईआर

 

चरघरवा को उजाड़ने वालों के खिलाफ उन लोगों के दायर एफआईआर को सी. जे. एम. कोर्ट से एट्रोसिटीज़ एक्ट के स्पेशल कोर्ट में भेज दिया गया है।

( नीचे एडवोकेट मनोज की रिपोर्ट को संलग्न कर रहा हूं। जो उन्होंने जन्म मुक्ति संघर्ष वाहिनी के व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किया है।)

17 अक्टूबर को इस गांव में मीटिंग हुई थी। और शांतिमय संकल्प के साथ प्रोटेक्ट करने वाले लोग इतने असहाय नहीं होते ।

इसका उदाहरण पेश हुआ था। बताया गया कि नवादा जिले के 35 गांव के लोग झारखंड के कोडरमा के एक गांव के और गया जिले के चार-पांच गांव के लोग चार गढ़वा में आ गए थे।

मैंने पहले भी इस गांव में 30 मार्च 2022 को मीटिंग ली थी और उस समय कि कुल भागीदारी के मुकाबले, इस बार ज्यादा ही प्रतिनिधि आए थे। इस मीटिंग में पहले की तरह महिला प्रतिनिधि नहीं थी।

उनकी संख्या कम थी। 17 अक्टूबर की मीटिंग की तारीख रखने में दो-तीन दिन का समय इसलिए लगा, क्योंकि बहादुर और उसके चाचा 13 अक्टूबर को पटना आए थे। और इन लोगों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की कोशिश की थी।

यहां ध्यान दिलाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री जनता दरबार तो लगते हैं, परंतु वहां से असल शिकायतकर्ता को, गेट से ही वापस कर दिया जाता है। वह लोग कहते हैं कि पहले डीएम के पास जाओ फिर ऑनलाइन सीट बुक करो । और तब आओ जब यहां से फोन जाए।।।

जनता दरबार में प्रतिनिधियों को भेजने का यह पहला अवसर था। और इसके ढोल की पोल उजागर हो गई।

मुख्यमंत्री अपने जनता दरबार को लेकर इतना अनकंफरटेबल रहते हैं? पहले सभी प्रेस प्रतिनिधियों के द्वारा इसकी खुली रिकॉर्डिंग भी होती थी , जो कि अब बंद कर दिया गया।

जानते चले कि मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अब ज्यादातर मामले जमीन कब्जा करने वालों और उस संदर्भ में पुलिस की लापरवाही से संबंधित होती है। और मुख्यमंत्री असहाय ढंग से शरीर को हिला डोला करके अपने बगल के लोगों को कहते हैं , कि इसे देख लिया जाए। फिर दोबारा तिवारा एक ही शिकायत को लेकर , जनता दरबार में, लोगों को पहुंचना पड़ता है।

यह कठिन और यंत्रणादायक है। इस तरह गांव के लोगों के सहयोग से यह गांव CJM कोर्ट में मुकदमा दायर कर सका। जन्म मुक्ति संघर्ष वाहिनी के ही मनोज कुमार हैं और यह वकील भी हैं इसलिए फॉरेस्ट राइट एक्ट से संबंधित मामलों में मनोज जी सहज ही जाया करते हैं।

आप सभी लोगों को — घटना से हताश होने की जरूरत नहीं है।

यह एक अनुभव है और इससे प्रेरणा ली जा सकती है। लगातार बने रहने से गांव के उजड़ने को (समय पर) बाधित किया जा सकता है। एक ही मामले में उनके अधिकारी यदि मुकदमे में फंस जाएंगे तो उन्हें आगे गैर कानूनी हरकत करने में डर होगा।

यह कहते हुए मैं यह भी संकोच रखना चाहता हूं कि अगर स्टेट एक बारगी , इन बस्तियों पर कहर बरसने लगेगा — तब किस तरह मुकाबला होगा!

यह प्रश्न नहीं है यह एक संकल्प है , कि मुकाबला हर हालत में होगा!

बहादुर मुंडा का अभिनंदन करें। मनोज कुमार के भी पीठ अवश्य थपथपाएं।

प्रियदर्शी

एडवोकेट मनोज कुमार की जरूरी रिपोर्ट नीचे

इन चार घरों को सामूहिक रूप से बसाया जाएगा यह प्रस्ताव 17 अक्टूबर की मीटिंग में लिया गया। परंतु उसे दिन तात्कालिक मुद्दा 30 अक्टूबर की गया डीएम के सामने होने वाली गया जिला की रैली थी जिसमें सॉलिडेरिटी के लिए इस इलाके के लोग भी जाएंगे। 17 तारीख को जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई वह लोग गांव के उजड़े घर फिर से बनाने के लिए तारीख तय करेंगे। उसे दिन आप भी शामिल हो सकते हैं।
नीचे की रिपोर्ट अवश्य पढ़ लीजिएगा।

चरघरवा एक टोला है, जो राजस्व ग्राम चोरडीहा में पड़ता है। चोरडीहा रजौली थाना में आता है।

11 अक्टूबर को यहां रजौली के फॉरेस्टर अभिषेक मिश्र में आई वन विभाग की टीम ने जेसीबी से मुंडा आदिवासियों के मिट्टी और खपरैल से बने चार घरों को बर्बरता पूर्वक ढाह दिया था। जिससे इन घरों के लोग पेड़ के नीचे और प्लास्टिक लगा कर , उसमें रात गुजारने को विवश हैं।

उनकी मुर्गी और काम करने के औजार वन कर्मियों ने लूट लिया। वन कर्मियों की मार से यहां के आदिवासी स्त्री पुरुषों के शरीर पर बने निशान अभी भी हैं। अभिषेक मिश्र से बाकी घरों को भी ढाहने की धमकी दी। उनके चले जाने से ये लोग, अज्ञात अनिष्ट की आशंका में रह रहे हैं।

ये बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व भी इनके खिलाफ कार्रवाई हुई थी। जब वन विभाग के लोगों ने पड़ोस के गांव के यादव जाति के लोगों के सहयोग से इनके धान लगे फसल को ( यादव जाति के लोगों के ही ट्रैक्टर से जोत दिया था। )

बहादुर मुंडा और चमरू मुंडा बताते हैं, कि अगल बगल के यादव जाति के लोगों की नजर इनकी मेहनत से बने खेतों पर रहती है और वे इन आदिवासियों को वन विभाग की मदद से उजाड़ देना चाहते हैं । ताकि उसके बाद वे इनकी उपजाऊ खेतो पर कब्जा कर लें।

बहरहाल 11 तारीख की घटना के खिलाफ अगले दिन 12 तारीख को रजौली थाना में प्राथमिकी करने के लिए आवेदन दिया गया था और फॉरेस्टर अभिषेक मिश्र सहित अन्य लोगो के के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की मांग कीगई थी ।

17 अक्टूबर को इस गांव में मीटिंग करने के बाद मैं बहादुर मुंडा और चमरू मुंडा के साथ रजौली थाना जाकर इस आवेदन पर हुई कार्रवाई की जानकारी लेने , गए थे। तब थाना में मौजूद पदाधिकारी ने कहा, कि ‘चूंकि इस घटना में संलिप्त लोग सरकारी पदाधिकारी हैं, इसलिए हम उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसलिए आप लोग वरीय पदाधिकारी को आवेदन दीजिए ताकि उनके आदेश के बाद एफ आई आर दर्ज किया जा सके। ‘

अगले दिन मैं ( मनोज कु स) बहादुर मुंडा और चमरू मुंडा के साथ एस पी से मिलने और आवेदन देने नवादा गया। पm बताया गया कि विधि व्यवस्था में व्यस्त रहने के कारण एस पी उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए हमने एस पी नवादा, डी एम नवादा, अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग) पटना और डी जी पी पटना को स्पीड पोस्ट के माध्यम से आवेदन भेज दिया।

आज 19 अक्टूबर को सीजेएम कोर्ट नवादा में अभिषेक मिश्र सहित अन्य लोगो के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धाराओं के साथ अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण कानून की धाराओं में मुकदमा दायर किया गया है ।

मुकदमे में SC-ST एट्रोसिटीज एक्ट रहने की वजह से इसे सी. जे. एम. कोर्ट से इसे एट्रोसिटीज़ एक्ट के स्पेशल कोर्ट में भेज दिया गया।

केश की अगली तारीख 31 अक्टूबर की मिली है। उस दिन इस केश के एडमिशन होने के बाद परिवादी बहादुर मुंडा का बयान होगा।

मनोज कुमार

 

 

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