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युद्ध!
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युद्ध युद्ध और युद्ध
उन्माद भरे माहौल में
हर तरफ बस एक ही शोर
सर काट के लाओ!
बर्बाद कर दो, नक़्शे से मिटा दो!
…..पर किसे?
सोचा है कभी तुमने ओ
युद्ध युद्ध चिल्लाने वालों
कौन मरता है युद्ध में?
कौन कराहता है?
आज तक रण में कौन बना है विजेता?
न सुना हो तो सुनो कलिंग से
इतिहास के पन्नों में आज भी
वो रक्त रंजित कराह रहा है
और गौर से देखना है तो देखो
नागासाकी और हिरोशिमा को
अभी तक उस धरती से
निकल रहे हैं नरकंकाल
और मानवता के माथे पर
धिक्कारता है रक्तिम कलंक।
महाभारत में उत्तरा के गर्भ पर
गिरा था प्रतिशोध का ब्रम्हास्त्र
शेष रहा अभिशप्त अश्वत्थामा
धो रहा अब तक
पश्चाताप का पीप-मवाद
अब अगर फिर से कोई अश्वत्थामा
चलाता है फिर से कोई प्रक्षेपास्त्र
तो लील जाएगा उसका युद्धोन्माद
आदम जात का समूल गर्भ
युद्ध युद्ध और युद्ध
जानते भी हो कौन मरता है इस युद्ध में?
आजतक तो सिर्फ इंसान मरा है
और कराही है इंसानियत!
-रेवन्त दान बारहठ
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