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राजेन्द्र राजन की कविता : युद्ध के विरुद्ध

by Samta Marg
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राजेन्द्र राजन की कविता : युद्ध के विरुद्ध

युद्ध के विरुद्ध

जो युद्ध के पक्ष में नहीं होंगे

उनका पक्ष नहीं सुना जाएगा

बमों और मिसाइलों के धमाकों में

आत्मा की पुकार नहीं सुनी जाएगी

धरती की धड़कन दबा दी जाएगी

टैंकों के नीचे 

सैनिक खर्च बढ़ाते जाने के विरोधी जो होंगे

देश को कमजोर करने के अपराधी वे होंगे

राष्ट्र की चिंता सबसे ज्यादा उन्हें होगी

धृतराष्ट्र की तरह जो अंधे होंगे

सारी दुनिया के झंडे उनके हाथों में होंगे

जिनका अपराध-बोध मर चुका होगा 

वे वैज्ञानिक होंगे जो कम से कम मेहनत में

ज्यादा से ज्यादा अकाल मौतों की तरकीबें खोजेंगे

जो शांतिप्रिय होंगे 

मूकदर्शक रहेंगे भला अगर चाहेंगे 

जो रक्षा मंत्रालयों को युद्ध मंत्रालय कहेंगे

जो चीजों को सही सही नाम देंगे

वे केवल अपनी मुसीबत बढ़ाएंगे

जो युद्ध की तैयारियों के लिए टैक्स नहीं देंगे

जेलों में ठूंस दिए जाएंगे

देशद्रोही कहे जाएंगे 

जो शासकों के पक्ष में नहीं आएंगे

उनके गुनाह माफ नहीं किये जाएंगे 

सभ्यता उनके पास होगी

युद्ध का व्यापार जिनके हाथों में होगा

जिनके माथों पर विजय-तिलक होगा 

वे भी कहीं सहमे हुए होंगे 

जो वर्तमान के खुले मोर्चे पर होंगे

उनसे ज्यादा बदनसीब वे होंगे जो गर्भ में छुपे होंगे

उनका कोई इलाज नहीं

जो पागल नहीं होंगे युद्ध में न घायल होंगे

केवल जिनका हृदय क्षत-विक्षत होगा।

राजेन्द्र राजन

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