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धरने के 150 दिन पूरे, किसानों ने फिर कहा, लड़ेंगे और जीतेंगे

by Rajendra Rajan
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25 अप्रैल। 26 नवंबर 2020 से किसान दिल्ली की सीमाओं पर तीन खेती कानूनों के खिलाफ व एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए धरना लगाए हुए हैं। किसानों ने हर मौसम में अपने आप को व आंदोलन को मजबूत रखा है। सरकार व भाजपा की किसान आन्दोलन को बदनाम करने की तमाम कोशिशों के बावजूद बीते 5 महीनों से लगातार शांतिमय ढंग से विरोध करना किसानों की नैतिक जीत है। किसानों का मानना है कि उनकी पूर्ण जीत तभी होगी जब तीन खेती कानून रद्द होंगे व उन्हें उनकी फसल के उचित दाम सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी मिलेगी।

दिल्ली तथा देश के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी व अन्य मेडिकल सेवाओं के अभाव में हाहाकार मचा हुआ है। सरकार इस तरफ ध्यान देने की बजाय किसानों के धरने खत्म कराने के हथकंडे सोचती रहती है। किसानों ने एक तरफ की सड़क पहले ही खाली की हुई है व आज सफाई भी की। सोनीपत प्रशासन के साथ हुई बैठक में तय हुआ था कि दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय कर जल्द ही पुलिस बैरिकेड हटाए जाएंगे। दिल्ली पुलिस के बैरिकेड अभी तक नहीं हटे हैं। सयुंक्त किसान मोर्चा ने एक ईमेल के माध्यम से औपचारिक निवेदन भी किया है कि सड़क खोली जाए ताकि ऑक्सीजन, एम्बुलेंस व अन्य जरूरी सेवाएं सुचारु रूप से चल सकें।

केएमपी एक्सप्रेस वे पर कुंडली व खरखौदा टोल प्लाजा पर आज हरियाणा सरकार द्वारा दुबारा टैक्स वसूली शुरू करने की कोशिश की गई तो सैकड़ों की संख्या में पहुँचकर किसानों ने टोल प्लाजा को टैक्स फ्री करवाया। संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा सरकार को चेतावनी दी है कि जब तक किसान आंदोलन चल रहा है हरियाणा के सभी टोल प्लाजा फ्री रहेंगे व अगर सरकार जबरदस्ती करती है तो भारी विरोध होगा।

टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरने पर वैक्सीनेशन तथा अन्य जरूरी सेवाओं के लिए कैम्प लग गया है। आज सिंघु बॉर्डर पर कजारिया टाइल्स पर मास्क आदि भी वितरित किए गए। यहां किसान आकर इन सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस बयान की कड़ी निन्दा की है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है व ऐसी जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। मोर्चा ने कहा है कि एक तरफ निजीकरण के माध्यम से सरकारी तंत्र को सरकार ने फेल कर दिया है और दूसरी तरफ वह जनता की आवाज को दबाना चाहती है।

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