2 अप्रैल। गौरीलंकेश न्यूज डॉट कॉम के मुताबिक जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनावधिकार कार्यकर्ताओं और जनसंगठनों से जुड़े लोगों पर एनआईए के छापों की निंदा की है। एनएपीएम ने कहा है कि ये छापे एक बार फिर यह दर्शाते हैं कि केंद्र सरकार संविधान , नागरिकों को मिले लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने के लिए किस हद तक आमादा है। ये छापे ऐसे लोगों पर डाले गए हैं जो नागरिक आजादी के लिए तथा समाज के कमजोर तबकों के हितों की रक्षा की खातिर लड़ने के लिए जाने जाते हैं। 31 मार्च से 1 अप्रैल के बीच डाले गए इन छापों के लिए दो महीने पहले दर्ज की गई दो बेतुकी एफआईआर को आधार बनाया गया, जिनमें 92 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। इनमें से 27 नाम दोनों एफआईआर में शामिल हैं और इनमें से दस व्यक्तियों को पहले ही आंध्र पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है और वे नवंबर-दिसंबर 2020 से जेल में हैं। जिन लोगों के घरों पर छापे डाले गए और जिन्हें आनेवाले दिनों में इसी तरह की कार्रवाई के लपेचे में लेने की आशंका जताई जा रही है वे आंध्र व तेलंगाना सिविल लिबर्टीज कमेटी, चैतन्य महिला संगम, ह्यूमन राइट्स फोरम, रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन, प्रजा कला मंडली, एसोसिएशन ऑफ फ्रेन्ड्स एंड रिलेटिव्ज ऑफ मार्टायर्स, पैट्रियाट्रिक डेमोक्रेटिक मूवमेंट, कमिटी फॉर द रिलीज ऑफ पोलिटिकल प्रिजनर्स, कुला निर्मूलना पोराटा समिति जैसे संगठनों से जुड़े हैं। ये संगठन दलितों, आदिवासियों और अन्य कमजोर तबकों के लिए लंबे समय से लड़ते रहे हैं। एनएपीएम ने कहा है कि किसी को सिर्फ इस आधार पर कानूनी कार्रवाई के घेरे में नहीं लिया जा सकता कि उसकी विचारधारा सरकार को पसंद नहीं है।