11 मई। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के राष्ट्रीय वर्किंग ग्रुप ने टिकरी बार्डर की घटना, जो एक युवा कार्यकर्ती के साथ हुए यौन उत्पीड़न, उसकी बीमारी तथा मृत्यु से संबंधित थी, व उससे जुड़े अन्य बिन्दुओं की गहराई से चर्चा की। एआईकेएससीसी ने इस सारी घटना की निन्दा की और कहा है कि वह सभी महिला कार्यकर्ताओं व आंदोलन में भागीदारों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से गम्भीर व समर्पित है और वह यौन उत्पीड़न के प्रश्न पर कोई लापरवाही नहीं होने देगा।
एआईकेएससीसी की ओर से जारी विज्ञप्ति में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया है कि इस मामले में एक एफआईआर दाखिल की जा चुकी है। लड़की के दुख से ग्रसित पिता ने इस शिकायत में कहा है कि उनकी बेटी के साथ बलात्कार करने के अलावा, उसको जबरदस्ती बन्धक बनाया गया, उसका अपहरण किया गया, उसे दबाया गया, उसको धमकियां दी गयीं और उसे ब्लेकमेल किया गया। एआईकेएससीसी मांग करती है कि एफआईआर के आधार पर, संबंधित अधिकारी द्वारा सारे पहलुओं की जांच करके दोषी व्यक्तियों को सख्त सजा दी जाए।
एआईकेएससीसी ने एक महिला सुरक्षा समिति का गठन किया है जो यौन उत्पीड़न से संबंधित सभी मामलों की जांच करेगी और वर्तमान किसान आंदोलन समेत उसके सभी कामकाज में तथा सभाओं में महिलाओं के अधिकारों से जुड़े मामलों की देखरेख करेगी। यह समिति टिकरी के मामले के सभी पहलुओं पर भी जांच करेगी। समिति इसके अतिरिक्त ऐसे कदम उठाएगी जिससे आगे चलकर ऐसी घटनाएं न हों और धरनास्थलों पर महिला भागीदारों की सुरक्षा, हिफाजत तथा सम्मान सुनिश्चित किया जा सके। समिति की सभी संस्तुतियों पर तुरन्त अमल किया जाएगा।संयुक्त किसान मोर्चों द्वारा ऐसे किसी मंच के गठन की स्थिति में यह सम उसके साथ मिलकर काम करेगी।
इस महिला सुरक्षा समिति के सदस्य हैं :
1. मेधा पाटकर, अध्यक्ष
2. प्रतिभा शिन्दे
3. वृन्दा करात
4. अमरजीत कौर
5. कविता कृष्णन
6. ऋतु कौशिक
7. पूनम कौशिक
8. ऐनी राजा
एआईकेएससीसी की विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि एआईकेएससीसी की समझ से संयुक्त किसान मोर्चा को इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं की पूरी जांच कराने के पूरे प्रयास करने चाहिए। एआईकेएससीसी खुद ऐसे कदम उठाएगी जिससे भाग ले रहे लोगों, विशेषकर महिलाओं के कोविड समेत सभी स्वास्थ्य संबंधित मामलों का उपचार किया जा सके।
दिल्ली की सरहदों पर जारी किसान आंदोलन में पिछले छह माह से लाखों महिलाएं भाग ले रही हैं। उन्होंने एक बहादुराना भूमिका इस आंदोलन में निभाई है और वे इन 3 कानूनों की वापसी कराने में और सभी फसलों की एमएसपी की कानून गारंटी दिलाने में सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ साबित होंगी। उन्होंने दमन का सामना किया है, मीडिया में दुष्प्रचार का सामना किया है, पितृसत्तात्मक बाधाओं को पार किया है ताकि आंदोलन में वे अपने अधिकारों के लिए लड़ सकें।
एआईकेएससीसी के लिए इस वर्तमान मामले में सम्पूर्ण व त्वरित न्याय मिलना, ऐसी व्यवस्था का होना ताकि ऐसा दुबारा नहीं हो, सबसे महत्त्वपूर्ण बात है।
एआईकेएससीसी की विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि एआईकेएससीसी विनम्रता के साथ कहना चाहता है कि महिलाओं के साथ दुराचार और यौन हिंसा के मामले हमारे समाज का हिस्सा हैं और वे हमारे आंदोलन में भी प्रवेश कर सकते हैं। अतः एआईकेएससीसी अपने को यौन उत्पीड़़न व भेदभाव के विरुद्ध संवेदना पैदा करने के काम के लिए और संगठन तथा आंदोलन के भीतर यौन उत्पीड़न समाप्त करने के लिए समर्पित करती है। महिलाओं को किसान आंदोलन में भारी संख्या में भाग लेने और उसका नेतृत्व करने में सुविधा दी जानी चाहिए और एआईकेएससीसी इसके लिए समर्पित है।
एआईकेएससीसी उन सभी ताकतों के षडयंत्रों के प्रति सजग रहेगी जो इस घटना का लाभ उठाकर किसान आंदोलन, एआईकेएससीसी तथा एसकेएम को बदनाम करने की कोशिश कर सकती हैं।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि एक युवा महिला यो़द्धा, जो आंदोलन के प्रति प्रतिबद्ध थी, भावुक थी, जोश के साथ काम कर रही थी, जिसने इतने अन्याय व परेशानियों का सामना किया, के इस तरह से चले जाने से बेहद दुखी है और उसके प्रति अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है। हम उसके परिवार के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।
एआईकेएससीसी ने हरियाणा सरकार से अनुरोध किया है कि वह त्वरित गति से इस मामले की जांच कराए और केस चलाकर न्याय दिलाए।