पदमा सचदेव की कविता

0
पेंटिंग : प्रयाग शुक्ल
पदमा सचदेव (17 अप्रैल 1940 – 4 अगस्त 2021)

पहला पहर

 

सुबह का पहर सुबह का आसमान

उठते ही कहता है

मैं आ गया मेरी जान

थोड़ी देर में खिल जाएगा सूरज

सामने वाली पहाड़ियों के सिरों पर

बिछ जाएगा सोना

चीड़ के दरख्तों की पत्तियां

लद जाएंगी सोने के साथ

चीड़ों के दरख्तों के पत्ते लद जाएंगे

गहनों के साथ, सौदाई हो जाएंगे

बिस्तर त्याग कर लोग

तभी नहाने के लिए चल देंगे

बज उठेंगी घंटियां, शंख और खरताल

मंदिर की सीढ़ियां चढ़ कर

नदी के सिर पर लटकता घंटा बजा कर

डरा देंगे कबूतरों को

तोते और चिड़ियों से

भर जाएगा आसमान

पंखों की उडारी के साथ

पक्षियों को गोद में लेकर

आसमान कहता है

मैं नहीं खाली

मेरी गोद बाल-बच्चों से भरी हुई है

मैं भारत का आसमान हूं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here