— बॉबी रमाकांत —
जब तक दुनिया की सारी पात्र आबादी को कोविड वैक्सीन की पूरी खुराक समय-बद्ध तरीक़े से नहीं लग जाती तब तक टीकाकारण से सम्भावित हर्ड इम्यूनिटी (सामुदायिक प्रतिरोधकता) नहीं उत्पन्न होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन जो संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च स्वास्थ्य एजेंसी है, उसने बारम्बार निवेदन किया है कि 2021 के अंत तक किसी भी देश में, पूरी खुराक वैक्सीन लगाये हुए लोगों को बूस्टर टीका न लगे (और पहले ग़रीब देशों में पात्र लोगों को टीके की पहली खुराक लगे) पर अमीर देशों ने इस चेतावनी को नजरअंदाज किया और अमीर देशों की जनता को बूस्टर लगायी। नतीजतन अनेक देशों में पहली खुराक तक अधिकांश जनता को नहीं लगी है और दो देशों में तो एक भी टीका अभी तक नहीं हुआ है (एरित्रिया और उत्तर कोरिया)।
वरिष्ठ संक्रामक रोग विशेषज्ञ और ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन ऐकडेमिक गिल्ड के राष्ट्रीय सचिव डॉ ईश्वर गिलाडा ने कहा है कि 24 नवम्बर 2021 को दक्षिण अफ़्रीका से कोरोना वाइरस का नया वेरीयंट रिपोर्ट हुआ है जिसे आज विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘ओमिक्रोन’ या ‘बी1.1.529’ नाम दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको ‘वेरीयंट ऑफ़ कन्सर्न’ कहा है क्योंकि यह काफी खतरनाक वाइरस लग रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक स्वतंत्र विशेषज्ञों का समूह जो कोरोना वायरस के नये प्रकार पर निरंतर निगरानी रखता है, उसके अनुसार, ओमिक्रोन में 50 म्यूटेशन हैं (10 स्पाइक प्रोटीन में हैं) जो अत्यंत चिंताजनक हैं। ध्यान दें कि डेल्टा वेरीयंट में 2 म्यूटेशन थे।
डॉ ईश्वर गिलाडा जो भारत के उन सर्वप्रथम चिकित्सकों में हैं जिन्होंने एचआईवी से संक्रमित लोगों की चिकित्सकीय देखभाल शुरू की थी जब पहला पॉज़िटिव केस भारत में रिपोर्ट हुआ था, उन्होंने बताया कि यह नये प्रकार का कोरोना वाइरस अधिक संक्रामक है और वैक्सीन भी इस पर संभवतः कम कारगर रहेगी। हालाँकि इस नये प्रकार के कोरोना वाइरस से अधिक गम्भीर परिणाम होंगे या मृत्यु अधिक होगी या नहीं, यह अभी ज्ञात नहीं है। ओमिक्रोन ग्रीक वर्णमाला का भाग है जैसे कि अल्फ़ा, बीटा, थीटा, डेल्टा, गामा, एप्सिलॉन आदि। जब कोरोना की लहर का अंदेशा कम हो रहा था और सरकार तथा लोग कोविड नियंत्रण पर ढिलाई दिखा रहे थे, जैसे कि मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि कोविड उपयुक्त व्यवहार अब जरूरी नहीं रहा, तब यह नया खतरा मँडराने लगा है।
ऑर्गनायज़्ड मेडिसिन ऐकडेमिक गिल्ड के डॉ ईश्वर गिलाडा और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग ने सीएनएस (सिटिजन न्यूज सर्विस) से कहा कि ‘डेल्टा’ वेरीयंट (कोरोना वाइरस का ‘डेल्टा’ प्रकार जिसे बी-1.617 भी कहा गया था) महाराष्ट्र के अमरावती से रिपोर्ट हुआ था जिसमें दो म्यूटेशन थे (E484Q और L452R)। जनवरी 2021 तक डेल्टा वेरीयंट सिर्फ 1 प्रतिशत रिपोर्ट हुआ था परंतु जून 2021 तक वह भारत में 99 फीसद संक्रमण का जिम्मेदार बन गया था। अगस्त 2021 तक डेल्टा वेरीयंट 100 से अधिक देशों से रिपोर्ट हुआ था। जिस तरह से कोविड संक्रमण से बचाव के तरीके हमलोग सख्ती से लागू नहीं कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि हमें डेल्टा वेरीयंट की अप्रैल-जून की हृदय विदारक तबाही स्मरण नहीं रही।
डॉ ईश्वर गिलाडा ने कहा है कि यदि कोरोना नियंत्रण को अधिक प्रभावकारी करना है तो आवश्यकता है कुशल सुनियोजित नीतियों की, जिसमें विभिन्न वर्गों की भागीदारी हो, और हर स्तर पर सभी वर्ग पूर्ण समर्पण से एकजुट होकर कोरोना नियंत्रण के साथ-साथ स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को सशक्त करने में लगें।
ऑर्गनायज़्ड मेडिसिन ऐकडेमिक गिल्ड जो चिकित्सकीय विशेषज्ञों की 15 संस्थाओं का समूह है, उसने सरकार को यह सुझाव दिये हैं :
# सिर्फ दक्षिण अफ़्रीका, बेलजियम, इजराइल और हांगकांग ही नहीं परंतु सभी देशों से आनेवाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के आवागमन पर रोक लगे। हम लोग हवाई मार्ग खुला रखकर पहले ही भारी कीमत चुका चुके हैं जब सिर्फ चंद देशों की आनेवाली फ़्लाइट पर रोक लगी थी (जैसे कि चीन, सिंगापुर, थाईलैंड आदि)।
# कोविड टीकाकरण की रफ़्तार में अनेक गुना अधिक तेजी आए जिससे कि सभी पात्र लोगों को पूरी खुराक लगे और जिनकी दूसरी खुराक नहीं लगी है वह भी समुचित ढंग से लगे। कोविशील्ड वैक्सीन की 2 खुराकों के बीच जो समय अवधि है उसे घटाने की अत्यंत आवश्यकता है। जाइ-कोव-डी वैक्सीन जिसे अगस्त 201 में सरकार ने संस्तुति दे दी थी, उसे 12-17 साल की उम्र के लोगों के लिए बिना विलम्ब टीकाकरण में लगना शुरू होना चाहिए। भारत में 6 वैक्सीन सरकार द्वारा संस्तुति-प्राप्त हैं पर लग सिर्फ़ 3 रही हैं। सभी संस्तुति-प्राप्त वैक्सीन पूरी क्षमता से निर्मित हों और टीकाकरण कार्यक्रम में लगनी शुरू हों।
# भारत को गरीब और मध्यम आय वाले देशों को वैक्सीन निर्यात करना शुरू करना चाहिए क्योंकि कोविड महामारी पर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि दुनिया की सभी पात्र आबादी का पूरा टीकाकरण हो (न कि सिर्फ हमारे देश की पात्र आबादी का)। वर्तमान में अफ़्रीका के अनेक देशों में टीकाकरण की दर सिर्फ़ 5 प्रतिशत या उससे भी कम है इसलिए वहाँ पर वैक्सीन की मदद पहुँचना जरूरी है। यह विडम्बना ही कही जाएगी कि अमीर देश जैसे कि अमरीका और यूरोप के देशों ने वैक्सीन खुराक को बेकार जाने दिया है या बूस्टर की तरह अपनी आबादी को लगायी है पर गरीब और मध्यम आय वाले देशों को नहीं दी। इंगलैंड ने हाल ही में 6 लाख वैक्सीन फेंकी क्योंकि वह रखे रखे खराब हो गयी थी।
# सभी कोरोना नियंत्रण तरीकों का ठोस तरह से पालन होना चाहिए। सभी लोग मास्क ठीक से पहनें, दूरी बनाकर रखें (खासकर सामाजिक या राजनीतिक आयोजनों में, कार्यस्थल पर, धार्मिक आयोजन में, खेलकूद में, बाजार में, आदि)।
# जीनोम सीक्वेन्सिंग जाँच को नियमित करते रहना चाहिए जिससे कि किसी भी नये प्रकार के वायरस की खबर बिना विलम्ब हो और ओमिक्रोन यदि आबादी में आ गया तो उसकी खबर भी तुरंत हो सके और उचित कदम उठाये जा सकें।