— डॉ सुनीलम —
आज रात सो नहीं सका, बैचेनी रही, कल दिन में मेदांता अस्पताल, गुड़गांव गया था, अखिलेश जी, रामगोपाल जी, रामगोविन्द चौधरी जी, ओमप्रकाश जी और शिवपाल जी के साथ 2 घंटे बैठा। सभी को लगता था नेताजी ठीक हो जाएंगे। रात भर नेताजी के साथ बिताए पल बार बार याद आते रहे, तमाम दृश्य आंखों के सामने घूमते रहे। रात को नेताजी को लेकर लिखा भी। वही साझा कर रहा हूं।
अभी खबर मिली कि नेताजी नहीं रहे। नेताजी को भावभीनी श्रद्धांजलि!
नेताजी को इस जीवन में कोई भी समाजवादी नहीं भुला पाएगा। नेताजी ने जिन समाजवादी मूल्यों के साथ जीवन जिया अब वही हमारी धरोहर है। अलविदा धरतीपुत्र मुलायम सिंह, आपका जलवा कायम था, कायम रहेगा नेताजी! सैफई जाऊंगा।
यूं तो मेरी मुलाकात नेताजी से बहुत पुरानी है लेकिन प्रगाढ़ता तब बनी जब नेताजी से मेरी आमने-सामने की मुलाकात किसान, मजदूर, आदिवासी क्रांति दल के समाजवादी पार्टी में विलय को लेकर जनेश्वर मिश्र जी के निवास पर हुई। चार बार विस्तृत तौर पर जनेश्वर जी के निवास पर बातचीत हुई। नेताजी का कहना था कि किसी भी परिवर्तन के लिए राजनीतिक औजार की जरूरत होती है। किसान संगठन से आंदोलन तो खड़ा किया जा सकता है, कुछ मांगें मनवाई जा सकती हैं लेकिन बुनियादी परिवर्तन के लिए राजनीतिक पार्टी होना चाहिए।
वे इस तरह से उदाहरण देते थे कि महेंद्र सिंह टिकैत, नन्जुदास्वामी और शरद जोशी ने बड़े आंदोलन खड़े किए लेकिन वे राजनीतिक ताकत नहीं बना पाए, ना ही अपने प्रभाव क्षेत्र में विधायक-सांसद जिता पाए। वे कहते थे कि आंदोलन सतत रूप से चलना संभव नहीं होता। सरकार द्वारा मांगें माने जाने पर आंदोलन समाप्त हो जाता है और लंबे समय तक मांगें न माने जाने पर भी आंदोलन समाप्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में राजनीतिक हथियार की जरूरत होती है।
मैंने जब नेताजी से पूछा था कि आप मुझे जनेश्वर जी के यहां क्यों बुलाते हैं, अपने घर पर क्यों नहीं? तब वे कहते थे कि यदि समाजवादी चिंतक मधु लिमये जी जिंदा होते तो मैं उनसे कहकर तुम्हारे कान पकड़वाकर सब कुछ करवा सकता था, लेकिन अब वे नहीं हैं। मुझे मालूम है कि तुम अगर सुनोगे तो जनेश्वर जी की बात सुनोगे, इस कारण तुम्हें यहां बुलाता हूं। तीन बार बात होने के बाद चौथी बार जब बात हुई तब जनेश्वर जी ने कहा कि अब कोई बात नहीं होगी। किसान मजदूर आदिवासी क्रांति दल का भोपाल में विलय होगा। मैं और मुलायम सिंह आएंगे। जनेश्वर जी ने नेताजी से कहा कि तुम्हारे पास सुनीलम की शिकायतें लेकर बहुत सारे लोग आएंगे। जरा फास्ट है, बहुत नेताओं से मिलता जुलता है। तुम उन पर ध्यान मत देना, मन में गलतफहमी मत पालना, सीधे बुलाकर पूछ लेना। मुझे भरोसा है कि वह तुमसे झूठ नहीं बोलेगा। जो लाइन बताओगे उसी पर काम करेगा, फिर भी यदि कभी गड़बड़ करे तो मुझे बताना, मैं कान पकड़कर सब करवा लूंगा। भोपाल में विलय की तारीख तय हो गई। तब से आज तक मैं समाजवादी पार्टी में हूं।
अन्ना आंदोलन के दौरान जब मैं पार्टी का राष्ट्रीय सचिव था, तब मैंने प्रयास किया कि समाजवादी पार्टी, अन्ना आंदोलन का समर्थन करे। नेताजी ने कहा कि समाजवादी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने में सक्षम है, आपको किसने रोका है। तब मैं अन्ना आंदोलन में सक्रिय रहा तथा मुझे अन्ना आंदोलन की कोर कमेटी में शामिल किया गया।
जब तक मैं पार्टी का राष्ट्रीय सचिव रहा तथा मध्य प्रदेश में 8 विधायकों के विधायक दल का नेता रहा, कई बार ऐसे अवसर आए, जब मैंने नेताजी को जनेश्वर जी की बात याद दिलाई। असल में किसान संघर्ष समिति को लेकर तमाम लोग गलतफहमी पैदा करने की कोशिश करते थे। अमर सिंह तो नेताजी के सामने जितनी बार मिले होंगे, उतनी बार कहते थे कि तुम हरा गमछा क्यों डालते हो? मैं बराबर कहता था कि यह किसानों के संघर्ष के शहीदों की निशानी है तथा मैं कौन-से कपड़े पहनूं यह मेरा अपना निर्णय है, मैं आपके कपड़ों को लेकर कभी टिप्पणी नहीं करता, आपको भी मेरे कपड़ों को लेकर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
दूसरी गलतफहमी पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के साथ तमाम कार्यक्रमों में शामिल होने को लेकर होती थी। मेरे सामने ही कहा कि वीपी सिंह लगातार आपके खिलाफ काम करते हैं।
उन दिनों दादरी का आंदोलन चल रहा था। नेताजी मुख्यमंत्री थे। मैंने नेताजी से कहा कि अमर सिंह जी पार्टी के महामंत्री और कर्ताधर्ता हैं लेकिन वे सभी पार्टियों से मिलते जुलते हैं तथा मुझे पता है कि वीपी सिंह जी के साथ भी मुलाकात करते हैं। उनकी मुलाकात ठाकुर होने के चलते होती है। मैंने कहा कि पार्टी का अनुशासन सब पर एक जैसा लागू होना चाहिए। इस तरह की नोकझोंक मेरी नेताजी के सामने अमर सिंह जी के साथ चलती रहती थी।
अमर सिंह जी ने एक बार सीधे-सीधे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुझ पर बड़ा आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि कार्यकारिणी में एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा है, जो मुझे जेल पहुंचाने का षड्यंत्र कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को पार्टी से निकाला जाना चाहिए। उन्होंने नेताजी को धमकाते हुए कहा कि यदि मैं जेल जाऊंगा तो आप भी नहीं बचेंगे। असल में अमर सिंह जी पूर्व विधायक किशोर समरीते की शिकायत कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए राशि को छापा डालकर पकड़वाने की कोशिश की थी। किशोर को पार्टी से निकाल दिया गया। मैंने पर्ची लिखकर भेजी, यह ठीक नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, अमर सिंह से बात कर लो। मैंने बात की, किशोर से माफी मंगवाई, पार्टी से बर्खास्तगी वापस हो गई। नेताजी ने किशोर की पीठ ठोंक कर कहा- पार्टी के सभी नेताओं का सम्मान करना सीखो!
(क्रमशः)