इंसानियत को ताक पर रखती तकनीक प्रेरणा मौजूदा समय ऐसी तकनीक का है जो इंसानों की तरह खुद-ब-खुद सोच-समझकर, निर्णय लेगी और उस परअमल करेगी, लेकिन क्या इसमें कोई इंसानियत भी …
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सुरंग में मजदूरों का फंसना कोई अकेली त्रासदी नहीं है डॉ. ओ. पी. जोशी अभी 28 नवंबर को करीब 17 दिन से बारामासी सड़क की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे …
क्या मिलेगा, ‘कॉप28’ से? भारत डोगरा जलवायु परिवर्तन से निपटने की खातिर यूएई के दुबई में दुनियाभर के देशों की28वीं ‘कॉप28’ बैठक के मौके पर यह पूछा जाना लाजिमी है कि आखिर पिछली …
डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल खेलों की तरह हमारे यहां अब त्यौहारों को भी बाजार के हवाले किया जा रहाहै। आपसी मेल-मिलाप, आनंद और स्वाद के आधार पर मनाए जाने वालेत्यौहार अब …
पूंजी-प्रधान हो गए हैं पर्व-त्यौहार योगेश कुमार गोयल आपसी मेल-जोल, सामूहिकता और आनंद को भूलकर अब हमारे त्यौहार पूंजी के अश्लील, अपराधिक प्रदर्शन पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। हाल में …
भारतीय कला का भागीरथ :आनंद कुमारस्वामी “माँ, इन चित्रों के सामने आप आँख मूंदकर हाथ जोड़े हुए क्यों खड़ी हैं? ये कौन लोग हैं?” “इनमें एक तुम्हारे पिता हैं और …
चुनाव सरकार नहीं, देश को गढ़ने का होना चाहिए मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम जैसे पांच राज्यों में चुनाव प्रचार जोरों पर है। सत्ता, विपक्ष और सत्ता में आने को लालायित नाना प्रकार की …
प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय की मृत्यु से हम सबकी व्यापक क्षति हुई है। आलोचक के मरने पर आम तौर पर लोग वैसे ही दुखी हैं ,जैसे अन्य किसी की मृत्यु पर …
भाषा , संस्कृति और मनुष्य फेसबुक पर बहुत कम ही सही ,किन्तु ऐसे मित्र भी हैं , जो संस्कृति और मनुष्यजीवन के तादात्म्य सम्बन्ध से परिचित भी हैं और उनकी …
सफर जासूसी उपन्यासों का – शैलेन्द्र चौहान किशोरावस्था में रूमानी और जासूसी उपन्यास खूब पढ़े। साथ-साथ साहित्यिक पुस्तकें भी पढ़ता था। आज जब इन उपन्यासों की लोकप्रियता को याद करता …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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