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संसद के निकट किसान संसद

by Rajendra Rajan
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20 जुलाई। एसकेएम यानी संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि मानसून सत्र के सभी कार्य दिवसों पर संसद के पास विरोध प्रदर्शन की अपनी योजना पर वह आगे बढ़ रहा है। हर दिन 200 प्रदर्शनकारियों द्वारा इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया जाएगा और किसान यह प्रदर्शित करेंगे कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को किस तरह से चलाया जाना चाहिए। एसकेएम की 9 सदस्यीय समन्वय समिति ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। एसकेएम ने कहा है कि वह अपनी योजनाओं को व्यवस्थित, अनुशासित और शांतिपूर्ण तरीके से क्रियान्वित करेगा। दो सौ चुंनिंदा प्रदर्शनकारी सिंघू बॉर्डर से प्रतिदिन पहचानपत्र के साथ रवाना होंगे। एसकेएम ने यह भी कहा कि अनुशासन का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

किसानों ने पहले से ही ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ का नारा दिया है। एसकेएम ने कहा कि वह 22 जुलाई से जंतर-मंतर पर जमीनी मुद्दों को उजागर करेगा और उसे उम्मीद है कि सभी सांसदों को जारी किया गया पीपुल्स व्हिप यह सुनिश्चित करेगा कि हमारे मुद्दों को संसद के अंदर उठाया जाए।

संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी किसान आंदोलन की मांगें और नारे संसद में सुनाई दिए। एसकेएम ने कहा है कि करोड़ों किसान सांसदों को देख रहे हैं, और इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि पीपुल्स व्हिप का पालन किया जा रहा है या नहीं।

संयुक्त किसान मोर्चा भारत में खाद्य और कृषि प्रणालियों पर कॉरपोरेट नियंत्रण, और नागरिकों के हितों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी और दायित्व से पीछे हटनेवाली सरकार के खिलाफ लड़ रहा है।

खाद्य सुरक्षा शिखर सम्मेलन

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में एक अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया चल रही है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन (यूएनएफएसएस), की एक पूर्व-शिखर सम्मलेन बैठक 26 जुलाई से 28 जुलाई 2021 के बीच रोम में निर्धारित है, जबकि शिखर सम्मेलन सितंबर में अमेरिका में होगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त राष्ट्र के संभावित खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन की बाबत कहा है कि यूएनएफएसएस एक तरफ जहाँ खाद्य प्रणालियों में संकट के लिए ‘प्रकृति-सकारात्मक समाधान’ की बात करता है, वहीं खुद इसके ‘कॉर्पोरेट अधिग्रहण’ की चपेट में जाने की संभावना दिख रही है, जो स्वीकार्य नहीं है। इस तरह की प्रक्रिया का नेतृत्व किसानों और उपभोक्ता संगठनों सहित नागरिक समूह द्वारा किया जाना चाहिए, जबकि इसका नियंत्रण उन संस्थाओं ने अपने हाथ में ले लिया है जो दावोस में मुनाफे और धन संचय पर नजर गड़ाये रहती हैं। ये संस्थाएं स्वदेशी ज्ञान और नवाचारों सहित जमीनी स्तर से विकसित प्रगतिशील अभिनव समाधानों का दिखावा करती हैं, मगर ऐसे समाधानों को कॉरपोरेट के लिए अधिक अवसर प्रदान करने के लिए संशोधित कर लिया गया है। एसकेएम वास्तविक स्थानीय समाधानों के किसी भी तरह से पटरी से उतरने के खिलाफ चेताते हुए कहा है कि यूएनएफएसएस प्रक्रियाओं में कॉरपोरेट सलाहकारों और अन्य लोगों के इशारे पर स्थायी खाद्य प्रणालियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

सिरसा में अनशन जारी

हरियाणा के सिरसा में सरदार बलदेव सिंह सिरसा का अनिश्चितकालीन अनशन आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया है। कल प्रशासन और किसान प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई बैठक के बाद भी प्रशासन के साथ टकराव जारी है। एक मीटिंग सिरसा के प्रशासन के साथ 20 जुलाई को भी हुई जो नाकाम रही। 11 जुलाई 2021 को हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा का विरोध करने के बाद, सौ  से अधिक किसानों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए, जिनमें राजद्रोह जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। एसकेएम की मांग है कि सभी मामले वापस लिए जाएं और गिरफ्तार किए गए पांच प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा किया जाए। सिरसा में ही, उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को, उनके काफिले को रामायण टोल प्लाजा से डायवर्ट किए जाने के बावजूद, मंगलवार को काले झंडे सहित विरोध का सामना करना पड़ा, जहां बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे थे। चरखी दादरी में भाजपा की एक अन्य नेता बबीता फोगट को किसानों के काले झंडों समेत विरोध का सामना करना पड़ा।

चंडीगढ़ में गिरफ्तार किए गए तीन किसान कार्यकर्ताओं को सोमवार को जमानत मिल गयी। चंडीगढ़ पुलिस शनिवार को दो भाजपा नेताओं के संबंध में हुई घटनाओं में गिरफ्तार लोगों की संलिप्तता नहीं साबित कर सकी। प्रदर्शनकारियों की ओर से लड़नेवाले वकीलों का समूह एफआईआर को रद्द करने के लिए भी आवेदन करेगा।

गडग में आज शहीद स्मृति दिवस

कर्नाटक के गडग जिले के नरगुंड में किसान 21 जुलाई का दिन 41वें शहीद स्मृति दिवस के रूप में मनाएंगे। 1980 में इसी दिन सरकार द्वारा किसानों पर लगाए गए तथाकथित ‘बेहतर कर’ के खिलाफ आंदोलन में पुलिस फायरिंग में दो किसान मारे गए थे। एसकेएम के नेतृत्व में मौजूदा आंदोलन इस साल शहीद स्मृति दिवस के आयोजन में प्रमुखता से शामिल होगा।

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