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किसान मोर्चा को मिला देशभर से समर्थन, मनाया गया विरोध दिवस

by Rajendra Rajan
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26 मई। किसान आंदोलन के दिल्ली की सीमाओं पर 6 महीने पूरे होने पर और साथ ही मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर बुधवार को विरोध दिवस मनाया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन देशवासियों को अपने घरों, दुकानों, वाहनों और सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान किया था। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को पूरे देश से भरपूर समर्थन मिला।

बुधवार को दिनभर पूरे देश से किसान आंदोलन के समर्थन में और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आती रहीं। महाराष्ट्र के नंदुरबार, नांदेड़, अमरावती, मुंबई, नागपुर, सांगली, परभणी, ठाणे, बीड़, सोलापुर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नाशिक, औरंगाबाद, सतारा, पालघर, जलगांव में किसानों और अन्य लोगों ने घर पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।

बिहार के बेगूसराय, अरवल, वैशाली, पूर्णिया, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सिवान, जहानाबाद, आरा, भोजपुर, पटना समेत अन्य जगहों पर किसानों के समर्थन में लोगों ने घरों पर काले झंडे लगाए और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया। उत्तर प्रदेश में बरेली सीतापुर, बनारस, बलिया, मथुरा समेत कई जगह पर किसानों ने मोदी सरकार के पुतले जलाकर और काले झंडे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया।

तमिलनाडु में शिवगगई, कल्लकुर्ची, कतुलुर, धर्मपुरी तंजौर, तिरुनेलवेली, कोयंबटूर समेत कई जगहों पर किसान मोर्चा का समर्थन किया गया और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। राजस्थान के झुंझुनूं, भरतपुर , श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ समेत कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।

आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम और तेलंगाना में हैदराबाद समेत कई जगहों किसानों ने विरोध प्रकट किया। उत्तराखंड के तराई क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में नागरिकों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को सफल बनाया। पंजाब के हर जिले में किसानों का भरपूर समर्थन मिला और पहले की तरह घर-घर पर काले झंडे लगे और बाइक रैली व छोटी बैठकों करके और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध किया गया।

हरियाणा में झज्जर, सोनीपत, गुड़गांव, भिवानी, रेवाड़ी, बहादुरगढ़, रोहतक, हिसार समेत पूरे राज्य के किसानों ने आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर मोदी सरकार के पुतले जलाए व घरों पर काले झंडे लगाए और प्रण लिया कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होतीं यह आंदोलन चलता रहेगा।

ओड़िशा के रायगढ़ा, पश्चिमी बंगाल के कोलकाता, जम्मू कश्मीर के अनंतनाग, त्रिपुरा, असम में भी किसानों के प्रदर्शन हुए।

दिल्ली मोर्चों पर आज बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई और लोगों से शांतिमय विरोध करने का आह्वान किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा का विश्वास है कि किसानों का यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहते हुए ही अपनी मंजिल पर पहुंचाया जा सकता है।

आज दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर विरोध दिवस मनाया और मोदी सरकार को चेतावनी दी कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे। सरकार चाहे जितना बदनाम करे, पुलिस बल का प्रयोग करे पर किसान डटे रहेंगे।

आज सिंघु बॉर्डर पर दिन की शुरुआत बुद्ध पूर्णिमा मनाकर हुई। इसके बाद किसानों ने अपनी अपनी ट्रॉलियों
में, कच्चे मकानों पर और वाहनों पर काले झंडे लगाए। इसके बाद किसानों ने अलग-अलग जगह मोदी सरकार के पुतले जलाए और नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया।

टिकरी बॉर्डर पर आज हजारों की संख्या में किसानों ने पहुंचकर मोर्चे को मजबूत किया। टिकरी बॉर्डर पर आसपास के नागरिकों ने भी पहुंचकर किसानों का समर्थन किया और हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।

गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों का आना जारी है। आज 6 महीने पूरा होने पर आंदोलन को मजबूत करने का किसानों ने संकल्प लिया। वहीं शाहजहांपुर बॉर्डर पर आज राजस्थान व हरियाणा के किसानों ने इकट्ठे होकर मोर्चे को मजबूत करने का फैसला किया और आनेवाले दिनों में और भी किसानों को साथ में जोड़ने का फैसला किया।

किसानों के इस आंदोलन 6 महीने हो गए। सरकार का खयाल था कि किसानों को थकाकर वह इस आंदोलन की हवा निकाल देगी। परंतु उसका खयाल मुगालता ही साबित हुआ है। किसानों का हौसला बरकरार है और वे लगातार लड़ते रहेंगे। सरकार इसे जितना खींचना चाहे वह कर सकती है, परंतु इसमें सरकार का ही राजनैतिक नुकसान है। किसानों को यह समझ आ चुका है कि यह कानून किसानी पर बहुत गहरा हमला है इसलिए किसानों को भी मजबूती से लड़ना है।

स्वतंत्रता सेनानी और कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता एच. आर. दोरासामी का बुधवार को 104 साल की उम्र में निधन हो गया। दोरासामी जी ने देश के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। वे देश के आजाद होने के बाद भी सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर सरकारों से लड़ते रहे। वे देश की एक मुख्य जनतांत्रिक आवाज थे। सयुंक्त किसान मोर्चा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

दैनिक ट्रिब्यून के सोनीपत में वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्तम जी का बुधवार को निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और बुधवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। पुरुषोत्तम जी लगातार किसान आंदोलन को कवर कर रहे थे। वे सिंघु बॉर्डर से किसानों की आवाज को मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने ला रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

किसान आंदोलन के 6 माह और मजदूर किसान विरोधी मोदी सरकार के 7 साल पूर्ण होने पर इंदौर में भी किसान संघर्ष समिति सहित विभिन्न किसान संगठनों ने अलग-अलग जगह काला दिवस मनाया। किसान संघर्ष समिति ने बाणगंगा नाका और कुशवाहा नगर चौराहे सहित जिले के ग्रामीण अंचल में काला दिवस मनाया। किसान सभा और सीटू ने मालवा मिल अनाज मंडी में तथा किसान खेत मजदूर संगठन ने मूसाखेड़ी में कार्यकर्ताओं ने काले झंडे और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया।

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