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पंजाब के किसान संगठन करेंगे लाकडाउन का विरोध

by Rajendra Rajan
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5 मई। आज सयुंक्त किसान मोर्चा के प्रमुख अंग पंजाब की 32 किसान संगठनों की बैठक सिंघु बॉर्डर पर हुई। इस बैठक में सभी संगठनों के राज्य स्तर के मुख्य नेता मौजूद रहे। मीटिंग की अध्यक्षता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने की।

बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना के खिलाफ लड़ने में असफल रही है। सरकार नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं व मूलभूत सुविधा जैसे ऑक्सीजन, बेड, दवाइयां आदि प्रदान करने में फेल साबित हुई है। हालांकि भाजपा किसानों के धरनों को कोरोना फैलाने का बड़ा कारण बता रही है परंतु यहाँ किसान जरूरी सावधानियां बरत रहे हैं। सरकारें अपनी नाकामी छिपाने के लिए व जन विरोधी फैसले लेने के लिए लॉकडाउन लगा रही हैं। इससे किसानों, मजदूरों, दुकानदारों व अन्य आम लोगों का जीवन बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। पंजाब की 32 किसान यूनियनों का यह फैसला है कि 8 मई को पंजाब भर में किसान, मजदूर, दुकानदार बड़ी संख्या में सड़कों पर आकर लॉकडाउन का विरोध करेंगे।

बूटा सिंह बुर्जगिल ने बताया कि आनेवाली 10 मई व 12 मई को पंजाब से किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली बोर्डर्स के लिए रवाना होंगे व मोर्चों को मजबूत किया जाएगा। बलदेव सिंह निहालगढ़ ने कहा कि किसानों के धरने हमेशा मजबूत रहेंगे। कटाई का सीजन खत्म हो गया है व अब अलग अलग जत्थों में किसान दिल्ली की तरफ रवाना होंगे।

किसान नेता सतनाम सिंह अजनाला के अनुसार कोरोना की आड़ में सरकार कॉरपोरेट वर्ग को फायदा पहुंचाना चाहती है। किसानों-मजदूरों के लिए नुकसानदेह फैसले लॉकडाउन में ही लिये गए। बोघ सिंह मानसा ने कहा कि राज्यों के चुनावों में किसानों ने भाजपा का बड़े स्तर पर नुकसान किया है।

किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि सरकार को जान-माल का रखवाला कहा जाता है परंतु माल तो छोड़ो सरकार लोगों की जान की रखवाली भी नहीं कर रही। बलविंदर सिंह राजू के अनुसार सरकार कोरोना की आड़ में शोषणकारी फैसले लेती है व इसी दिशा में किसानों की जमीनें छीनना चाहती है।

किसान नेताओं ने कहा है कि वे सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं और पूरी तरह से आशावादी हैं। सरकार किसानों को बदनाम करना बंद करें व साफ नीयत से बातचीत करे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि पंजाब में लाकडाउन का विरोध करने का फैसला पंजाब के किसान संगठनों का है, न कि संयुक्त मोर्चा का। अलबत्ता संयुक्त मोर्चा में पंजाब के किसान संगठन शामिल हैं।

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