तब कौन मौन हो रहता है तब कौन मौन हो रहता है? जब पानी सर से बहता है। चुप रहना नहीं सुहाता है, कुछ कहना ही पड़ जाता है। व्यंग्यों …
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जब पानी सर से बहता है तब कौन मौन हो रहता है? जब पानी सर से बहता है। चुप रहना नहीं सुहाता है, कुछ कहना ही पड़ जाता है। व्यंग्यों …
चीख से उतरकर मेरे हाथ में एक कलम है जिसे मैं अक्सर ताने रहता हूँ हथगोले की तरह फेंक दूँ उसे बहस के बीच और धुँआ छँटने पर लड़ाई में …
सब डरते हैं सब डरते हैं, आज हवस के इस सहरा में बोले कौन इश्क तराजू तो है, लेकिन, इस पे दिलों को तौले कौन सारा नगर तो ख्वाबों की …
अछूत “तू अछूत है – दूर !” सदा जो कह चिल्लाते “मुझे न छू” कह नाक-भौंह जो सदा चढ़ाते दिन में दो-दो बार स्नान हैं करने वाले ऊपर तो अति …
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल, उड़े मर्त्य मिट्टी गगन …
मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएंगे, मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएंगे। हौले हौले पांव हिलाओ, जल सोया छेड़ो मत, हम सब अपने अपने दीपक यहीं सिराने …
मुनादी ख़ल्क ख़ुदा का, मुलुक बाश्शा का हुकुम शहर कोतवाल का… हर खासो-आम को आगाह किया जाता है कि खबरदार रहें और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से कुंडी चढा़कर बन्द …
बापू के प्रति तुम मांस-हीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन, तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण, हे चिर नवीन! तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन; …
किसान “धन्य तुम ग्रामीण किसान सरलता-प्रिय औदार्य-निधान छोड़ जन संकुल नगर-निवास किया क्यों विजन ग्राम में गेह नहीं प्रासादों की कुछ चाह कुटीरों से क्यों इतना नेह विलासों की मंजुल …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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