हनुमान पुराण – 18 — विमल कुमार — हनुमान- प्रभु! क्या आपको लगता है कि इस बार आप रावण दहन कर पाएंगे? राम- क्यों ?तुम आखिर अब इस तरह के …
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हनुमान पुराण – 18 — विमल कुमार — हनुमान- प्रभु! क्या आपको लगता है कि इस बार आप रावण दहन कर पाएंगे? राम- क्यों ?तुम आखिर अब इस तरह के …
हनुमान पुराण- 17 –विमल कुमार– हनुमान- प्रभु आप फलिस्तीन और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध में किसके साथ हैं? राम- मुझसे यह सवाल क्यों पूछ रहे हो ? …
— विमल कुमार — राम- हनुमान! यह अघोषित आपातकाल क्या होता है? हमने तो आपातकाल को अपनी आंखों से देखा है और आपातकाल में मैँ भी जेल गया था …
— ध्रुव शुक्ल — अपनी किशोर उमर के दिनों से सार्वजनिक कवि सम्मेलन और मुशायरे सुनता आ रहा हूॅं। पचहत्तर साल बीत गये, कवियों, शाइरों और व्यंग्यकारों ने राज्य व्यवस्था …
— विमल कुमार — राम – हनुमान! राजेन्द्र यादव के “हंस” में इस बार मैंने तुम्हारी कहानी पढ़ी है- “हनुमान का कुआं”। तुम बड़े छुपे रुस्तम निकले। आखिर कब से …
— ध्रुव शुक्ल — हंसा फिरें बिपत के मारे, अपने देस बिना रे जिन बोलियों से मिलकर हिन्दी बनी, उनमें एक बुन्देली बोली भी है। इस बोली में ही कवि …
हनुमान – मां सीते! आपके लिए मैं एक शुभ समाचार लेकर आया हूं। बड़ी मुश्किल से रावण के सैनिकों से बच कर आपसे मिलने आया हूँ। सीता – अरे हनुमान …
— कविता वाचक्नवी — कुटिल होने के कारण आचार्य चाणक्य को कौटिल्य कहा जाता है” – यह कथन आज जब विशाखदत्त के संस्कृत नाटक ‘मुद्राराक्षस’ के हिंदी रूपान्तरण (रांगेय राघव …
— विमल कुमार — हनुमान – प्रभु! क्या आपको हिंदी दिवस के मौके पर किसी मंत्रालय या किसी स्कूल कालेज या किसी संस्थान में बुलाया नहीं गया? राम – मैं …
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