हलचल
झारखंडी शहीदों के सपने अब भी अधूरे हैं
झारखंड राज्य गठन की रजत जयंती धूमधाम मनाने को हर झारखंडी तैयार है.झारखंड के हर आदिवासी और मूलवासी के राज्य निर्माण का सपना 25...
विचार
काकोरी के शहीदों को कैसे याद करें? – अरुण कुमार त्रिपाठी
सन 2025 का संयोग अजीब है। इस साल सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पितृसंगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा...
हिंसा और हास्य के बीच बिहार का चुनाव – अरुण कुमार...
बिहार राजनीतिक तौर पर एक जागरूक प्रदेश माना जाता है। इसलिए कोई भी संचार माध्यम बिहार विधानसभा के चुनाव की उपेक्षा कर नहीं सकता।...
वीडियो
बिहार के चुनावी दंगल में बदजुबानी की कोई हद ही नहीं!...
बिहार का चुनावी दंगल पूरे जोश खरोश के साथ उफ़ान पर है। इसके मुतालिक जो खबरें या भविष्यवाणी हो रही है, उसमें दो...
अन्य स्तम्भ
भारतीय-संस्कृति के महान-अध्येता आनन्द के. कुमारस्वामी – डॉक्टर राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी
आनन्द के. कुमारस्वामी भारतीय-संस्कृति के महान-अध्येता थे ।भारतीय-संस्कृति के आधारभूत सिद्धान्तों की ओर उनकी दृष्टि गयी थी और उन्होंने उस पर मौलिक-चिन्तन किया था...
संवाद
संंघ पर जेपी की राय
आज जेपी यानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है। १९७४ के आंदोलन में उन्होंने सभी कांग्रेस विरोधी दलों को संपूर्ण क्रांति के लिए अपने...
अन्य लेख पढ़ें
मैं दर्शन और साहित्य को विषय नहीं मानता: प्रेमकुमार मणि
(प्रेमकुमार मणि से अजित कुमार की बातचीत)
प्रेमकुमार मणि हिंदी की साहित्यिक दुनिया में 1980 के दशक में एक संवेदनशील कथाकार के रूप में आए...
पत्रकारों ने मीडिया पर केंद्र सरकार के विधेयकों की आलोचना की
# पत्रकारिता बचाने के लिए त्रिपक्षीय स्वायत्त मीडिया आयोग की आवश्यकता पर जोर
11 अगस्त। नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनएजे) और दिल्ली यूनियन ऑफ...
ऐतिहासिक घटना है किसान मोर्चा व श्रमिक संघों का साथ आना
— सुनीलम —
एक मई को दुनियाभर में मई दिवस, 'दुनिया के मजदूरो एक हो' के नारे के साथ मनाया जाता है। भारत में भी...
Democracy is dead. Long live democracy! – MOHAN GURUSWAMY
The Bihar elections once again brings to the fore the quality of the democratic debate in the country. Bihar often prides itself as the...
साप्ताहिकी
हिंदुस्तान के देहातों की महागाथा
— डॉ. शुभनीत कौशिक —
वर्ष 1942 में प्रकाशित ताराशंकर बंद्योपाध्याय का उपन्यास ‘गणदेवता’। बंगाल के पाँच गाँवों की कथा कहते हुए बीसवीं सदी के...
मणिमाला जी की कविता!
एक हजार में बोलो
तुम क्या-क्या ख़रीदोगे?
कहो जी तुम क्या-क्या
सुनो जी तुम क्या-क्या
मोदीजी तुम क्या क्या ख़रीदोगे...?
यहाँ तो हर चीज़ बिकती है...
ये नौकरी के सपने
ये...

























































































