हलचल
वरिष्ठ पत्रकार और ट्रेड यूनियनिस्ट डॉ के विक्रम राव का निधन
डॉ राव बेबाकी से बोलते थे, सबकी पोल खोलते थे। इमरजेंसी के प्रखर विरोध के कारण उन्हें सदा याद रखा जाएगा। किसान संघर्ष समिति...
विचार
भारत की कूटनीतिक विफलता
— रमाशंकर सिंह —
विश्वसनीय मित्र देश रूस की निगाह में डांवाडोल बनते हुये स्थायी मित्र को छोड़कर अमेरिका की शरण में पूरी तरह समर्पण...
बुद्ध पर संवाद
— परिचय दास —
वह न मौन था, न वाणी। वह न कोई विचार था, न उसका प्रतिवाद। वह केवल एक चलती हुई करुणा थी—जल...
वीडियो
सोशलिस्ट, कॉलमकार के. विक्रम राव अब नहीं रहे!
— राजकुमार जैन —
के. विक्रम राव मेरे पुरानें वरिष्ठ सोशलिस्ट साथी थे। आंध्र के एक बहुत ही नामवर, ब्यूरोक्रेट, पत्रकारों के परिवार में जन्मे...
अन्य स्तम्भ
एकला चलो रे.. ताकि पथ नये खुलते रहें
— शिवदयाल —
यह भी एक पुकार ही तो है - ‘यदि तुम्हारी पुकार पर/कोई नहीं आता/अकेले ही चले चलो.....’ सोचकर विस्मय होता है, जिस...
संवाद
संंघ पर जेपी की राय
आज जेपी यानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है। १९७४ के आंदोलन में उन्होंने सभी कांग्रेस विरोधी दलों को संपूर्ण क्रांति के लिए अपने...
अन्य लेख पढ़ें
पेंशनभोगी कोयलाकर्मियों और उनके आश्रितों के लिए कोल इंप्लाइज फोरम ने शुरू किया आंदोलन
14 अगस्त। देश के करीब छह लाख पेंशनभोगी कोयलाकर्मियों और उनके आश्रितों के लिए एफसीआईआरईए से जुड़े कोल इंप्लाइज फोरम ने आंदोलन तेज कर...
अगस्त क्रांति पर ऑनलाइन परिसंवाद
8 अगस्त। 1942 की अगस्त क्रांति को याद करते हुए समाजवादी समागम और जेपी फाउंडेशन ने ऑनलाइन परिसंवाद का आयोजन किया है। जेपी फाउंडेशन...
बीपीएससी पेपर लीक : एक महीने बाद भी जाँच किसी नतीजे पर क्यों नहीं...
8 जून। 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने बीपीएससी पेपर लीक मामले में बिहार की नीतीश सरकार को आड़े हाथों लिया है।...
Who will organize the Unorganized?
— MOHAN GURUSWAMY —
The spectacle of millions of migrant workers locked in their densely packed shantytowns and desperate seeking to escape their lockdown confinement...
साप्ताहिकी
केयूर पाठक की कविता
खेत
हरे-भरे खेत
और खलिहान
फिर से लगते हैं लहलहाने
बाढ़ और अकाल के बाद,
चंद दिनों की तबाही इन्हें
बंजर नहीं बना पाती,
ये उगाते हैं
पहले झाड-झंखार और घास
और...
मनुष्य सबसे पहले
— परिचय दास —
कश्मीर की साँझ जब गुलाबी होती है
तो उसके भीतर भी एक रक्ताभ स्मृति छुपी होती है-
जैसे सूरज ने थककर किसी बेगुनाह...