आदिवासियों के मसीहा डॉक्टर ब्रह्मदेव शर्मा के जन्मदिन पर

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Gopal rathi

— गोपाल राठी —

भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस) के अधिकारी, एवं ज़िंदगी भर आदिवासी – किसानों के अधिकार की लड़ाई लड़ने के वाले डॉक्टर ब्रह्मदेव शर्मा का आज जन्मदिन है l भारत जनान्दोलन के प्रमुख शर्मा जी भारतीय प्रशासनिक सेवा के महत्वपूर्ण पदों पर रहे है l वे आदिवासियों के जल- जंगल- जमीन पर मालिकाना हक़ के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष करने वाले योद्धा थे l वे प्राकृतिक संशाधनों की लूट और पर्यावरण को बर्बाद करने वाली विकाश की मौजूदा नीतियों का हमेशा विरोध करते रहे.l मैंने बहुत कम ऐसे अधिकारियों को देखा है, जो व्यवस्था के अंदर रहकर और फिर बाहर आकर भी, जनता के हक़ के लिए जूझते रहे हैं. आई ए एस अधिकारी रहे गाँधीवादी बी ड़ी शर्मा उनमे से ही एक थे.l

ब्रह्मदेव शर्मा जी अपने प्रशासनिक कॅरियर के शुरुआती दिनों से ही आदिवासियों एवं वंचितों के पक्ष में खड़े रहते थे। वह उनके संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे, जिससे वे कई तरह से वंचित रहे थे। 1968 में बस्तर कलेक्टर के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने बड़ी ख्याति पाई। 1981 में उन्होंने आदिवासियों और दलितों के लिए सरकारी नीतियों को लेकर उनके और सरकार में मतभेद के कारण प्रशासनिक सेवा को अलविदा कह दिया था। लेकिन इसके बाद ग़रीबों, आदिवासियों और दलितों के लिए उनका संघर्ष और तेज हो गया। भारत सरकार ने बाद में ही उन्हें नॉर्थ ईस्ट युनिवर्सिटी का कुलपति बनाकर शिलांग भेजा। वहां भी उन्होंने इस दिशा में काम किया।

1986 से 1991 तक डॉ. ब्रह्मदेव शर्मा ने अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति आयोग के आखिरी आयुक्त के रूप में काम किया। आयुक्त के रूप में जो रिपोर्ट उन्होंने तैयार की, उससे देश के आदिवासियों की गंभीर स्थिति को समझने में मदद मिलती है। उस रिपोर्ट की सिफ़ारिशों को आदिवसियों को न्याय दिलाने की ताक़त रखने वाले दस्तावेज़ के रूप में देखा जाता है। 1991 में ‘भारत जन आंदोलन’ और ‘किसानी प्रतिष्ठा मंच’ का गठन कर उन्होंने आदिवासी और किसानों के मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना शुरू किया। 2012 में छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के कलेक्टर को माओवादियों से छुड़ाने में उन्होंने प्रोफ़ेसर हरगोपाल के साथ अहम भूमिका निभाई थी। वह माओवादियों की ओर से वार्ताकार थे।

डॉ. शर्मा का नाम पिपरिया के आर एन ए स्कूल से जुड़ा है – 1972 मे मेट्रिक की बोर्ड परीक्षा मे सामूहिक नकल प्रकरण के कारण तत्कालीन डीपीआई बीडी शर्मा की पिपरिया मे छात्रों के सामूहिक आक्रोश का शिकार होना पढ़ा था l इसके बाद मेट्रिक मे कुछ लोगो को सपलीमेंटरी आई थी और अधिकांश फ़ेल हो गए थे l प्राचार्य सहित पूरे स्टाफ का तबादला हो गया था l इस समय हम भी इस स्कूल मे कक्षा 8 के छात्र थे l 1991 मे समता संगठन के एक कार्यक्रम मे भाग लेने शर्मा जी पिपरिया -बनखेड़ी आए थे l,उस दौरान मैंने उक्त घटना का ज़िक्र किया तो वे बोले मेरे विभाग के अधिकारियों का दबाब था की जिन छात्रों ने हुज्जत की है उनके खिलाफ पुलिस मे कार्यवाही की जाये l उन्होने कहा कि मैंने दृढता से इसका विरोध किया क्योकि इस तरह कि कार्यवाही से छात्रों का भविष्य खराब हो जाता l शासकीय सेवा और सेवा से निवृत्ति के बाद उनका समर्पित जीवन हम सब के लिए प्रेरणादायी है l

16 जून 1931 में जन्मे श्री ब्रह्मदेव शर्मा का 6 दिसम्बर 2015 में निधन हुआ।

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