लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के महिला चिंतन शिविर की रिपोर्ट

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लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान का दुसरा महिला चिंतन शिविर 20 जून से 22 जून तक कांडीखाल (पौढ़ी गढ़वाल ) मसूरी, उत्तराखंड में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से 13 महिलायें उपस्थित थीं। पश्चिम बंगाल से- मनीषा बैनेर्जी, रूमी खातून, अनुराधा, एवं औरपो ( 4) , महाराष्ट्र से- वासंती, गुड्डी, वैशाली और मीना( 4), उत्तराखंड से- गीता एवं कला ( 2), झारखंड से- कुमुद एवं किरण( 2), दिल्ली से- मणिमाला (1) (कुल 13 )। महिलाओं की संख्या कम थी जो थोड़ी निराशा बढ़ाने वाली थी लेकिन जब विषयों पर गंभीर चर्चा हुई तो वह उत्साहवर्धक रही।

प्रथम दिन: 20 जून को पहले सत्र में हम सभी ने तय किया कि अपने परिचय के साथ ही नए साथियों के जीवन संघर्ष और उन्होंने जो बाधाएँ झेली हैं, उनको साझा किया जाए। नये साथियों में जैसे कला ( उत्तराखंड ), मीना, वैशाली और गुड्डी (महाराष्ट्र) का अनुभव प्रेरणादाई रहा। दूसरे सत्र से विस्तार से निर्धारित विषयों पर चर्चा आरंभ हुई- पहला विषय था- “जनान्दोलनों में महिलाओं के मुद्दे, “ महिला आंदोलन” और “महिलाओं का नेतृत्व उभार”. जिसे कुमुद और किरण ने मिल कर प्रस्तुत किया। जिसे प्रतिभागियों ने अपने -अपने अनुभव से समृद्ध किया। समय का उपयोग करते हुए पहले दिन ही रात में तीसरा सत्र शुरू किया गया, जिसका विषय था “युद्धोन्माद और औरतें”। इस विषय पर पहले गुड्डी ने पहलगाम (कश्मीर) की घटना पर फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग रिपोर्ट को विस्तार से रखा।

दूसरा दिन: 21 जून, 2025 के पहले सत्र में “युद्धोन्माद और औरतें” विषय पर मणिमाला जी ने विस्तार से अपनी बात रखी, जिस पर गंभीर चर्चा हुई।

21 जून, 2025 के दूसरे सत्र में “साम्प्रदायिकता और महिलाओं पर खतरे”. विषय पर मनीषा बैनर्जी ने मुर्शिदाबाद की घटना के संक्षिप्त रिपोर्टिंग को जोड़ते हुए विषय पर अपनी बात रखी।

तीसरे दिन: 22 जून, 2025 पहले सत्र में यूसुफ मेहरअली केंद्र कांडीखाल के व्यवस्थापक जबर सिंह वर्मा ने अपने क्षेत्र के दलितों, विशेष कर दलित महिलाओं के बीच होने वाले अपने काम के अनुभवों को हमसे साझा किया। एक बात जो हम सब के लिए बड़े ही आश्चर्य की थी वह यह कि उत्तराखंड के जौनसर बावर के पूरे क्षेत्र को हीं सरकार ने ट्राइबल क्षेत्र घोषित किया है और वहाँ रहने वाले ब्राह्मण, क्षत्रिय भी दलित की श्रेणी में आते हैं, जिसके कारण सरकार द्वारा गरीबों, दलितों को मिलने वाली हर सुविधा का उपभोग ये लोग कर लेते हैं और दलितों तक उनकी सुविधाएं पहुँच ही नहीं पाती है।

इस सत्र के अंत में ही सम्मेलन में पारित होने वाले प्रस्तावों पर चर्चा हुई, कई प्रस्ताव लिए गए और भविष्य के लिए निम्न कार्यक्रम तय किए गए-

1) इस वर्ष संविधान निर्माण का 75वां एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष की घोषणा का 50वां वर्षगांठ पूरा हो रहा है। इसके मद्दे नजर यह निर्णय लिया गया कि सभी साथी अपने -अपने क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर दोनों विषय को जोड़ते हुए एक कार्यक्रम लेंगे।
2) बिहार और पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी चुनाव को देखते हुए (साझा मंच) के बैनर से अपनी जिम्मेवारी एवं भूमिका निभाने का प्रयास करना है। गुड्डी के साथ कुमुद एवं किरण ने दो दिन देने पर सहमति दी। बिहार में गुड्डी एवं पश्चिम बंगाल में मीनाक्षी बनर्जी कार्यक्रम बनाएंगी।
3) 2027 में होने वाले यूपी चुनाव में अभी से तैयारी करने एवं लोकतंत्र की वापसी के लिए प्रयास करने का कार्यक्रम भी बना।
4) मणिपुर में 6 महीने के अंदर वहां जाने का निर्णय लिया गया। गुड्डी और गीता जी इसमें पहल करेंगे, बाकी साथी सहयोग करेंगे।
5) एक तीन दिवसीय महिला शिविर, महाराष्ट्र (पनवेल या जलगांव) में किया जाएगा जिसमें सभी साथी अपने-अपने क्षेत्र से दो युवा महिला साथी को भेजेंगे, ताकि नई पीढ़ी का प्रशिक्षण हो सके।
6) एक नया कार्य समूह बनाने का निर्णय लिया गया, जिसके सदस्य वैशाली, वासंती, गीता, रूमी और कला रहेंगी, जो समय -समय पर सभी कामों का निरीक्षण करेंगी। सभी साथी इस नए समूह को सहयोग देंगे।
7) पूरे देश में महिला आंदोलनकारियों की जीवनी एवं संघर्ष को केंद्र में रखकर लिखित दस्तावेज तैयार करने की शुरुआत करने का सुझाव भी आया।
8) उत्तराखंड के क्षेत्र विशेष के आरक्षण संबंधित विसंगतियों को दूर करने के लिए अध्ययन कर सरकार से इसे पुनरावलोकन का आग्रह किया जाएगा।

शिविर का समापन व्यवस्थापक को अच्छी व्यवस्था के लिए धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। शिविर के अंत में कुछ साथी मिल कर नजदीक के गांव जहां संस्था के संपर्क से कार्य चल रहा हैं, वहाँ गए और वहाँ की महिलाओं से बात की।

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