Tag: अरुण कुमार गोंड
“मीम्स” की भाषा: सोशल-मीडिया पर उभरती व्यंग्यात्मक चेतना
— अरुण कुमार गोंड —
एक “मीम” कभी केवल मज़ाक नहीं होता, बल्कि उसके पीछे समाज की कोई गहरी परत छुपी होती है। “मीम्स” आज...
“ऑनलाइन डेटिंग”: सच, झूठ के बीच प्रेम की तलाश
— अरुण कुमार गोंड —
पढ़ना दरअसल महसूस करना है; और जब बात अपने आस-पास की हो, तो वो बात सीधे दिल में उतरती है।...
बदलते दौर में बच्चों के खेल: परंपरा से डिजिटल युग तक
— अरुण कुमार गोंड —
बचपन में खेले जाने वाले खेल न केवल शारीरिक विकास को प्रोत्साहित करते है, बल्कि मानसिक और सामाजिक कौशल को...