Tag: अरुण कुमार त्रिपाठी
इतिहास की कल्पना बनाम कल्पनाओं का इतिहास – अरुण कुमार त्रिपाठी
वंदे मातरम् पर संसद में हुई दस घंटे की बहस से क्या मिला? क्या किसी ने कोई सबक लिया और देश में कहीं सद्भाव...
असली खतरा समाज के बर्बरीकरण का है – अरुण कुमार त्रिपाठी
कभी महात्मा गांधी ने कहा था कि असली खतरा समाज के बर्बरीकरण का है। लगता है वह समय आ गया है। राज्य की संस्थाएं...
झूठे आंकड़ों का भूखा है मध्यवर्ग – अरुण कुमार त्रिपाठी
असत्य और हिंसा को गले लगा चुका भारतीय मध्यवर्ग महज उपभोक्तावादी वस्तुओं का ही भूखा नहीं है। उसे प्राचीन भारत के गौरव-बोध के साथ...
सच्चिदाजीः सत्तावन का जज्बा और लीची की मिठास – अरुण कुमार...
किसी भी पढ़ने लिखने वाले और समाजवादी विचारों और मूल्यों में विश्वास करने वाले के लिए यह गर्व का विषय हो सकता है कि...
लोकतंत्र बिहार से लौटेगा या अमेरिका से? – अरुण कुमार त्रिपाठी
लोकतंत्र की दुर्दशा से बेचैन भारतीय समाज एक ओर बिहार में चल रहे चुनाव की ओर उम्मीद से देख रहा है तो दूसरी ओर...
हिंसा और हास्य के बीच बिहार का चुनाव – अरुण कुमार...
बिहार राजनीतिक तौर पर एक जागरूक प्रदेश माना जाता है। इसलिए कोई भी संचार माध्यम बिहार विधानसभा के चुनाव की उपेक्षा कर नहीं सकता।...
संघ, गांधी और लद्दाख के सोनम वांगचुक – अरुण कुमार त्रिपाठी
ऐसा कम होता है लेकिन इस साल हो रहा है। इस साल ‘पूर्णमासी के दिन सूर्यग्रहण’ लग रहा है। महात्मा गांधी की जयंती यानी...
हमें कृष्ण की बांसुरी चाहिए या सुदर्शन चक्र
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए 15 अगस्त और...
सूची नहीं लोकतंत्र का शुद्धीकरण होना चाहिए
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
आपातकाल के पचास वर्ष पूरे होने पर एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र संदेह के गहरे वातावरण में फंस गया है।...
स्त्री मुगल बनाम इस्लामी नारीवाद
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
जाने माने कवि और नारी संवेदना को अपने लेखन का विषय बनाने वाले पवन करण ने एक जोखिम भरा काम...




















