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लोकतंत्र बिहार से लौटेगा या अमेरिका से? – अरुण कुमार त्रिपाठी
लोकतंत्र की दुर्दशा से बेचैन भारतीय समाज एक ओर बिहार में चल रहे चुनाव की ओर उम्मीद से देख रहा है तो दूसरी ओर...
हिंसा और हास्य के बीच बिहार का चुनाव – अरुण कुमार...
बिहार राजनीतिक तौर पर एक जागरूक प्रदेश माना जाता है। इसलिए कोई भी संचार माध्यम बिहार विधानसभा के चुनाव की उपेक्षा कर नहीं सकता।...
संघ, गांधी और लद्दाख के सोनम वांगचुक – अरुण कुमार त्रिपाठी
ऐसा कम होता है लेकिन इस साल हो रहा है। इस साल ‘पूर्णमासी के दिन सूर्यग्रहण’ लग रहा है। महात्मा गांधी की जयंती यानी...
हमें कृष्ण की बांसुरी चाहिए या सुदर्शन चक्र
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए 15 अगस्त और...
सूची नहीं लोकतंत्र का शुद्धीकरण होना चाहिए
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
आपातकाल के पचास वर्ष पूरे होने पर एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र संदेह के गहरे वातावरण में फंस गया है।...
स्त्री मुगल बनाम इस्लामी नारीवाद
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
जाने माने कवि और नारी संवेदना को अपने लेखन का विषय बनाने वाले पवन करण ने एक जोखिम भरा काम...
एक युद्ध हो अन्याय और हथियारों के विरुद्ध
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
इक्कीसवीं सदी का चाल चलन बिगड़ गया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतिकारों और रणनीतिकारों ने जो आख्यान रचा है उससे...
वे औरंगजेब नहीं लोकतंत्र की कब्र खोद रहे
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
वास्तव में वे औरंगजेब की नहीं लोकतंत्र की कब्र खोद रहे हैं। कब्र दो प्रकार से खोदी जाती है। एक...
अब समाज ही सिखाएगा सरकार को सद्भाव
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
होली और रमज़ान के मौके पर सरकारों और नफ़रती सांप्रदायिक संगठनों ने देश भर में तनाव पैदा करने की भरपूर...
ओवल आफिस के साम्राज्यवादी मंच पर गरमागरमी
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
साम्राज्यवाद का आने वाला स्वरूप कैसा होगा इसका एक छोटा सा ट्रेलर दुनिया ने शुक्रवार को उस समय देखा जब...




















