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जीवन की मोह नगरी
— इल्मा बदर —
जीवन की मोह नगरी में,
कोई कहीं छूट जाएगा।
कर्तव्य जो सिंचोगे तो,
प्रेम कहीं सूख जाएगा।
सपनों के भारी मेले में,
अपना कोई खो जायेगा।
हँसी...
ओ कन्हैया!
— इल्मा बदर —
ओ कन्हैया! लौटो फिर से
घृणा के इस काले वन में
संगीत के बदले संग्राम जहाँ है
साथी का संहार जहाँ है
स्वांग रचाता है...












