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कन्हैयालाल नंदन की कविता
सूरज की पेशी
आँखों में रंगीन नजारे
सपने बड़े-बड़े
भरी धार लगता है जैसे
बालू बीच खड़े।
बहके हुए समंदर
मन के ज्वार निकाल रहे
दरकी हुई शिलाओं में
खारापन डाल रहे
मूल्य...