Tag: कवि ध्रुव शुक्ल
इस जीतने की फ़िक्र को क्या कहिए
— ध्रुव शुक्ल —
आजकल यही बात ज़्यादा चलती है कि सब अपनी विजय चाहते हैं, अपनी हार किसी को स्वीकार नहीं। सारे धर्म अपनी...
संयम से हीन बाबाओं के देश में
— ध्रुव शुक्ल —
मुझे बचपन से ही ऐसा संस्कार मिला कि अब तक अपने लिए केवल दो बाबाओं को ही चुन पाया हूॅं---तुलसी बाबा...