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मत्स्यन्याय का आधुनिक स्वरूप है बुलडोजर न्याय
— योगेन्द्र यादव —
अप्रणीतः तु मत्स्यन्यायं उद्भावयति।
बलीयान् अबलं हि ग्रसते दण्डधराभावे।। (‘अर्थशास्त्र’)
मत्स्यन्याय पर ‘अर्थशास्त्र’ की इस उक्ति को समझना हो तो आप कुछ यूं...