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स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 49वीं किस्त

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सन 1906 में हुए कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार बंगाल में विभाजन के विरोध में जो बहिष्कार आंदोलन चल रहा था, उसकी खुलकर ताईद...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 47वीं किस्त

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बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ तक कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशनों में हर साल स्थायी लगान व्यवस्था, कृषि, शिक्षा का विस्तार, सैनिक और गैर-सैनिक खर्च में...

स्वतंत्रता आंदोलन के दस्तावेज – मधु लिमये : 43वीं किस्त

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अब हम देखें कि अंग्रेजी हुकूमत द्वारा 1942 के आंदोलन का क्या मूल्यांकन किया गया था, उसके बारे में उनकी क्या प्रतिक्रिया थी? राष्ट्रीय नेताओं...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 41वीं किस्त

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अगस्त क्रांति और आजाद हिंद फौज अब तक हमने उदारपंथियों तथा उग्रपंथियों के वैध आंदोलन, आतंकवादियों के बम पिस्तौल और महात्मा गांधी के सामुदायिक सत्याग्रह...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 40वीं किस्त

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नेताजी सुभाष ने अपनी पुस्तक ‘द इण्डियन स्ट्रगल’ के संपूरक अंश में (जो 1943 में उन्होंने लिखा था) कहा है कि गांधीजी के सत्याग्रह...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 38वीं किस्त

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गांधीजी के असहयोग आंदोलन से वातावरण इतना बदल गया कि पढ़े-लिखे लोग खादी की गठरियां लादकर खादी बेचने हेतु मोहल्ले-मोहल्ले, गांव-गांव घूमने लगे। इस...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये 37वीं किस्त

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जब नील मजदूरों की शिकायते सुनने के लिए गांधीजी चंपारण पहुंचे तो उनको उपद्रवी तत्त्व समझकर उनके ऊपर पुलिस अधीक्षक द्वारा नोटिस जारी कर...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 35वीं किस्त

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गांधी प्रणीत सत्याग्रह शास्त्र पिछले अध्याय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संवैधानिक तौर-तरीकों तथा आतंकवादी क्रांतिकारियों के रास्ते की समीक्षा हमने की। अब हमें गांधीजी...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 34वीं किस्त

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वर्ष 1927 के बाद पं. जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस तथा कम्युनिस्ट पार्टी के तत्वावधान में समाजवादी विचारों का व्यापक प्रसार देश मे होने लगा।...

मधु लिमये : अथाह ज्ञान की ललक

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— प्रो. राजकुमार जैन — स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा, लोकतंत्र, समाजवाद के प्रहरी मधु लिमये की दास्तान एक लेख में बयां करना मुमकिन नहीं है।...

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