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रामविलास शर्मा की कविता
तैर रहे बादल
तैर रहे हैं
ललछौंहे आकाश में
सिंगाल मछलियों-से
सुरमई बादल
खिल उठा
अचानक
विंध्या की डाल पर
अनार-पुष्प-सा
नारंगी सूर्य
मॅंडराने लगीं
झूमती फुनगियों पर
धूप की
असंख्य तितलियाँ
उतर रही है
उतावले डग भरती
नर्मदा घाटी...