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संजय श्रमण
Tag: संजय श्रमण
कविता
अन्याय देखा नहीं जाता, ना सुना ही जाता है!
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— संजय श्रमण — अन्याय देखा नहीं जाता ना सुना ही जाता है अन्याय की गंध होती है अन्याय सूंघा जाता है अधर्म के अंधकूप में अनैतिकता के अथाह में जहां...
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