Tag: समाजवाद
स्वराज के दर्शन, संघर्ष और रचनाकर्म की त्रयी थे प्रयोगधर्मा प्रो....
— कृष्णस्वरूप आनन्दी —
आज़ादी की लड़ाई के दौरान लोकमान्य तिलक ने देशवासियों को ‘स्वराज’ का बीजमन्त्र दिया था, जिसे महात्मा गाँधी ने ‘पूर्ण स्वराज’...
आधुनिक युग में समाजवाद की प्रासंगिकता – समय की पुकार
लेखक: जॉन जी. कैनेडी "मानवता के समाजवादी स्वप्नद्रष्टा"
1. भूमिका - समाजवाद क्या है? :-
समाजवाद का मतलब केवल एक राजनीतिक विचारधारा नहीं है, बल्कि यह...
समाजवादी अध्ययन समूह और समाजवादी अध्ययन केंद्र बनाने की आवश्यकता क्यों...
— रणधीर गौतम —
हम अपने जीवन में तीन तरह के रिश्ते बनाते हैं: भाव बंधु, कर्म बंधु, और विचार बंधु। मेरे लिए, विचार बंधु...
मार्क्सवाद और समाजवाद
— डॉ. राममनोहर लोहिया —
किसी पंथ या विचारधारा पर विचार करते समय आमतौर पर हमारी नजर अंतिम लक्ष्य पर जाती है। मार्क्सवाद के भी...
बाजारवाद का अधूरा विरोध
— राजकिशोर —
भारत में बाजार व्यवस्था के दुष्परिणाम जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं, उसके विरोधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। सभ्यता के इतिहास...















