Tag: Ashok Vajpayee
कला ने बहुलतावादी संस्कृति को बचाये रखा
— अरविंद कुमार —
हर कला एक तरह का सभ्यता विमर्श है और इस दृष्टि से उसका काम न केवल व्यक्ति और समाज को सांस्कृतिक...
संगीत का कबीर कुमार गन्धर्व
— अरविंद कुमार —
कला की दुनिया में जब कोई नवाचार करता है तो उसे अपनी ही दुनिया के लोगों से विरोध का सामना करना...
कला की रोशनी में लोकतंत्र
— विमल कुमार —
क्या अब कला की रोशनी में भारतीय लोकतंत्र को देखा और परखा जाना चाहिए है? क्या कला की रोशनी राजनीति और...
बुद्धिजीवियों ने देश के हालात पर चिंता जताई
16 जनवरी। प्रसिद्ध इतिहासकार और फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट उमा चक्रवर्ती ने कहा है कि भारत पाक विभाजन के समय जिस तरह देश में नफरत का...
नृत्य केवल देह की भाषा नहीं है
— विमल कुमार —
नृत्य के बारे में एक आम धारणा है कि वह देह की भाषा है लेकिन नृत्य देह को छोड़कर उससे परे...
एक उत्सवधर्मी कवि का प्रतिरोध
— विमल कुमार —
हिंदी साहित्य में उत्सवधर्मिता और प्रतिरोध को एक दूसरे का विलोम माना जाता रहा है यानी अगर कोई रचनाकार अपनी रचना...
आधी सदी का साहित्य-कला संसार
— संजय गौतम —
मूर्धन्य कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी अस्सी पार के होकर भी पूरी तरह सजग-सक्रिय हैं और अपने समय की चुनौतियों से संघर्ष करते...
सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ आनलाइन काव्यगोष्ठी
26 जनवरी। सोसायटी फॉर कम्युनल हार्मनी ने सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ कुछ दिनों से लगातार अपने कार्यक्रमों की शृंखला में 26 जनवरी की शाम...
पूर्वजों ने भी उठायी थी साहित्य में प्रतिरोध की आवाज
— प्रगति सक्सेना —
साहित्य हमेशा सत्य का अन्वेषण करता है और इस दृष्टि से उसका धर्म असत्य के खिलाफ बोलना है। इस तरह साहित्य...
जी हाँ, हम अंधभक्त हैं, आज का बुद्धिजीवी, शब्दों का मकड़जाल,...
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
(छठी किस्त)
असमिया के प्रख्यात साहित्यकार, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता, साहित्य अकादमी के भू.पू. अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य लिखते हैं कि “जब लोहिया नेफा...