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स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 14वीं किस्त

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भारतीय राष्ट्र, भारतीय राष्ट्रवाद अंग्रेजों की यह धारणा बन गयी थी कि 1857 के विद्रोह के पीछे मुख्यतः मुसलमान थे, जबकि वस्तुतः ऐसी बात नहीं...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये 13वीं किस्त

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पृष्ठभूमि सन 1857 के विद्रोह से बंबई, बंगाल तथा मद्रास के इलाके पूर्णतः अलग रहे। यहाँ अंग्रेजी शिक्षा और सभ्यता का...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 12वीं किस्त

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सन 1857 के विद्रोह को अत्यधिक सख्ती और खूबी के साथ दबाने में सर जॉन लारेंस (अंग्रेज अफसर) अग्रणी था। इस विद्रोह के बारे...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 11वीं किस्त

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अंग्रेज और सैन्य प्रबंध प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों का राज सारे हिंदुस्तान में फैल गया। अंतिम स्वतंत्र राज्य सिख राज्य था जिसकी भी...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : दसवीं किस्त

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जब अंग्रेजी हुकूमत में यह हालत थी तो उसके पूर्व क्या होता होगा?पेशवाओं का राज विशुद्ध ब्राह्मणी राज बन गया था। समानता नाम की...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : नौवीं किस्त

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परंपरागत हिंदू कानून के अनुसार अगड़ी यानी उच्च जातियों में विधवाओं के पुनर्विवाह का निषेध था। कतिपय आधुनिक विद्वान पुनर्विवाह के पक्ष में कुछ...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : आठवीं किस्त

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न्याय प्रणाली में परिवर्तन सन 1857 के विद्रोह के बाद भारत में अंग्रेजों की हुकूमत सीधे इंग्लैण्ड की सरकार के हाथ में चली गयी। कुछ...

स्वतंत्रता की विचारधारा – मधु लिमये : सातवीं किस्त

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अंग्रेजी हुकूमत की स्थापना के बाद बंगाल की जो हालत हुई उसके बारे में बेचर नाम के कलकत्ता कौंसिल के एक सदस्य ने 1769...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : छठी किस्त

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दक्षिण में पांडिचेरी फ्रांसीसियों का व्यापारिक केंद्र बन गया था। उसके उत्तर में मद्रास अंग्रेजों का। जब यूरोप में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : पाँचवीं किस्त

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लेकिन उन दिनों हमारे देश में क्या हो रहा था? यह विडंबना की ही बात है कि उन दिनों हमारे देश में केवल पुराने...

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