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नागपाश में बॅंधा संसार
— ध्रुव शुक्ल —
किसी दूर देश की प्रयोगशाला में
कल्पना की गयी है संहार की
रची गयी है अकाल मृत्यु
कर रहा सबको अकेला
कोई असाध्य रोग
क़ैद कर...
ये कोई बावरी-सी जिद है
— ध्रुव शुक्ल —
कोई कहता है कि मंदिर है यहाॅं
कोई कहता है कि मस्जिद है
ये कोई बावरी-सी जिद है
ये ख़ुदाई कहीं रहीम-सी लगती है
कहीं...
कहाॅं शरण है, कहाॅं शरण है
— ध्रुव शुक्ल —
कई रूप हैं, कई नाम हैं
कई लोग हैं, कई काम हैं
भरे हुए हैं कितने रंग-ढंग
कई पते हैं, कई धाम हैं
कई शब्द...
स्व.डॉक्टर मंगल मेहता की कविताएं
देश चर्या
रंगें बातें,
रोपें ड़र
निहाल-
गेंडा
इत्ता भर याद रखना
मेरे दुलारे
मन दर्पण में सपने
हजार हजार देखना,
पर इन तंग गलियों,
माटी की दीवारों की छुवन याद रखना।
आकांक्षाओं की चहकन,फुदकन
बावला...
धर्मवीर भारती की कविता
'मुनादी'
खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का
हुकुम शहर कोतवाल का
हर खासो-आम को आगह किया जाता है
कि खबरदार रहें
और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से
कुंडी चढा़कर बन्द...
चार कवि : चार कविताएँ
— केशव शरण —
उज्ज्वल विचार काले ख़याल
देहधारी गाँधी
आज़ाद थे
ग़ुलाम बनाने वाली सत्ताओं में ताक़त नहीं थी
कि वे उन्हें
अपने अधीन कर लेतीं
देहधारी गाँधी
आज़ादी के लिए...