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शैलेन्द्र चौहान की चार कविताऍं
1. ईहा
सारंगी के तारों से झरता
करुण रस
हल्का हल्का प्रकाश
कानों में घुलने लगते मृदु और दुखभरे गीत
शीर्षहीन स्त्री
सारंगी तू सुन
मद्धम सी धुन
अनवरत तलाश एक चेहरे की
हाथ,...