Tag: Prof Rajkumar Jain
कृष्णानंद जी एक कर्मचारी नहीं। घर के सरपरस्त थे।…
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
अगर मैं यह कहूं कि सबसे ज्यादा मैं मरहूम कृष्णानंद जी को जानता था, और रिश्ता रहा है, तो सहकर्मी...
भूली बिसरी यादें !
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
ओड़िशा के लगातार पांच बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक 1966 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में बीए के छात्र...
दिल्ली यूनिवर्सिटी लॉ फैकल्टी का कॉफी हाउस!
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
साथी कुलबीर सिंह ने मुझे 'फ्रेंड्स ग्रुप' के साथ जोड़कर, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पुराने वक्त के साथियों की खैर-खबर जानने...
गांधी-लोहिया मेरे पॉलिटिकल डीएनए में हैं
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
लगभग 65 साल पहले दिल्ली के सोशलिस्टों की संगत में दो नाम महात्मा गांधी और डॉक्टर राममनोहर लोहिया मेरी जबान...
मेरी ख्वाहिश! – प्रोफेसर राजकुमार जैन
तमाम उम्र मुझे इस बात का फख्र रहा है कि मैंने अपनी वैचारिक आंखें सोशलिस्ट तहरीक में खोली थीं। लड़कपन, स्कूल के तालिबेइल्म...
मधु लिमये : आनंद के लिए शास्त्रीय संगीत, सिद्धांत के लिए...
— प्रो. राजकुमार जैन —
शास्त्रीय संगीत, एक अति कठिन विधा है, परंतु हिंदुस्तान के सियासतदानों में शायद मधुजी जैसे कम लोग ही रहे होंगे...
शादी किसी की एक महीने की जेल हमें!
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
सन 1968 में दिल्ली में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के हमारे नेता थे, साथी सांवलदास गुप्ता। गुप्ता जी की रहनुमाई...
हमें फ़ख्र है कि हमने उस महामानव से बात की है...
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
सीमान्त गांधी लोहिया से बेइन्तहा लगाव रखते थे, लोहिया के इंतकाल के बाद 1969 में जब वो हिंदुस्तान आए तो...
हमें फ़ख्र है कि हमने उस महामानव से बात की है
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
(दूसरी किस्त )
सन 1939 में जब गांधीजी सीमा प्रांत के दौरे पर गए तो बादशाह ख़ान ने गांधीजी से कहा था :...
आँखों देखा दिल्ली-6 का नज़ारा
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
दिसंबर की रात के 12 बजे, हाड़ कंपकंपाती सर्दी, कड़कती हुई बिजली, घनघोर बारिश के बीच कम्बल ओढ़े, एक हाथ...