2 मई। संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ आए जनादेश को किसान आंदोलन की नैतिक जीत बताते हुए इसका स्वागत किया है। मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में, यह स्पष्ट है कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को खारिज कर दिया है। ऐसे गंभीर संकट के समय में जब देश स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढाँचे के मामले में आपदा का सामना कर रहा है, बहुत-से निर्दोष नागरिक इस सरकार की घोर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। और ऐसे समय में जब लोगों को आजीविका के बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है, बीजेपी ने अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को फैलाने की कोशिश की। चुनाव आयोग पर संस्थागत हमले व मिलीभगत करके भाजपा ने चुनाव जीतना चाहा। चुनाव आयोग से अनैतिक व गैरकानूनी सहायता और चुनाव अभियानों में भारी संसाधन झोंकने के बावजूद इन राज्यों में भाजपा की हार होना यह दर्शाता है कि नागरिकों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के इस एजेंडे को खारिज कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में आगे कहा गया है कि “प्रदर्शनकारी किसान पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एजेंडा अस्वीकार्य है; किसान आंदोलन दरअसल नागरिकों का एक साझा संघर्ष है, जो अपनी आजीविका की रक्षा करने के साथ-साथ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बचाने के लिए भी है। विभिन्न राज्यों के मतदाताओं ने भाजपा को दंडित करने के सयुंक्त किसान मोर्चा के अभियान को सफल बनाया है। भाजपा का यह एजेंडा बिल्कुल फेल रहा है जिसमें उन्होंने नागरिकों की आजीविका के मुद्दों तथा किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों और मज़दूर-विरोधी श्रम कोड को चुनावी मुद्दा न बनने देने के प्रयास किये। हम बंगाल और अन्य राज्यों के नागरिकों को किसानों को समर्थन देने के लिए बधाई देते हैं। हम अब पूरे भारत के किसानों से अपील करते हैं कि वे अपने प्रतिरोध को मजबूत करें, और अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल हों। यह आंदोलन उन लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रसारित करना जारी रखेगा, जो हमारे संविधान की रक्षा करते हैं।
मोर्चा ने आगे कहा है कि अब भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी है कि आज के परिणामों को स्वीकार करे व किसानों से बातचीत कर तीनों कृषि कानून रद्द करे तथा एमएसपी की कानूनी गांरटी दे। हम एक बार पुनः स्पष्ट कर रहे हैैं कि किसानों का यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मांगें नहीं मानी जातीं। साथ ही भाजपा व उसके सहयोगी दलों का बॉयकॉट भी जारी रहेगा। सरकार किसानों-मजदूरों को अपना दुश्मन बनाने की बजाय कोरोना महामारी व आर्थिक संकट से लड़े।
संयुक्त किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय कोर कमेटी ने युवा आन्दोलनकारी मोमिता बासु के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है। पश्चिम बंगाल से किसानों के धरने में पहुंचीं मोमिता लगातार किसान मोर्चों पर डटी हुई थीं। उनका यह बलिदान किसानी संघर्ष में याद रखा जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कोरोना के नाम पर पंजाब सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों और किसानों पर दर्ज पुलिस केसों की कड़ी निंदा की है। नेताओं ने बताया कि नूरपुर-बेदी (रोपड़) में हुई किसान कांफ़्रेस में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रंधावा, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरदीप कौर कोटला, कीर्ति किसान मोर्चा के नेताओं बीर सिंह, जगमनदीप सिंह पढ़ी, रूपिंदर संदोया, मिस्त्री मजदूर यूनियन के नेता तरसेम सिंह जटपुर और गायक पम्मा डुमेवाल पर पंजाब पुलिस नूरपुरबेदी (रोपड़) द्वारा मामला दर्ज किया गया है। कुछ दिन पहले मोगा पुलिस ने युवा किसान नेता सुखजिंदर महेश्री और विक्की महेश्री के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। पंजाब सरकार लोगों के संघर्षों पर रोक लगाना तुरंत बंद करे और युवा किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज पर्चे को तुरंत रद्द करे, अन्यथा इन कार्रवाइयों के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा।