हलचल
वरिष्ठ पत्रकार और ट्रेड यूनियनिस्ट डॉ के विक्रम राव का निधन
डॉ राव बेबाकी से बोलते थे, सबकी पोल खोलते थे। इमरजेंसी के प्रखर विरोध के कारण उन्हें सदा याद रखा जाएगा। किसान संघर्ष समिति...
विचार
भारत की कूटनीतिक विफलता
— रमाशंकर सिंह —
विश्वसनीय मित्र देश रूस की निगाह में डांवाडोल बनते हुये स्थायी मित्र को छोड़कर अमेरिका की शरण में पूरी तरह समर्पण...
बुद्ध पर संवाद
— परिचय दास —
वह न मौन था, न वाणी। वह न कोई विचार था, न उसका प्रतिवाद। वह केवल एक चलती हुई करुणा थी—जल...
वीडियो
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर चंद सवाल
— शंभू नाथ —
हिंदुओं ने बुद्ध को अपना नौवां अवतार मान लिया, पर मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि हमने उनके किस...
अन्य स्तम्भ
एकला चलो रे.. ताकि पथ नये खुलते रहें
— शिवदयाल —
यह भी एक पुकार ही तो है - ‘यदि तुम्हारी पुकार पर/कोई नहीं आता/अकेले ही चले चलो.....’ सोचकर विस्मय होता है, जिस...
संवाद
संंघ पर जेपी की राय
आज जेपी यानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है। १९७४ के आंदोलन में उन्होंने सभी कांग्रेस विरोधी दलों को संपूर्ण क्रांति के लिए अपने...
अन्य लेख पढ़ें
ऋषि सुनक पर गर्व करें, बशर्ते शर्म भी आती हो
— योगेन्द्र यादव —
भारतीय ऋषि सुनक पर एक क्षण के लिए गर्व कर सकते हैं। लेकिन तभी जब वे भारत में एक दिन किसी...
वैकल्पिक राजनीति के वाहक : एक प्रस्ताव – किशन पटनायक – तीसरी किस्त
(किशन जी चिंतन और कर्म, दोनों स्तरों पर राजनीति में सदाचार, मानवीय मूल्यबोध और आम जन के हित को केंद्र में लाने के लिए...
लोकतंत्र के नये गृहप्रवेश पर नेहरू की याद
— ध्रुव शुक्ल —
जब नये संसद भवन के रूप में लोकतंत्र के गृहप्रवेश के मुहूर्त को सत्ता हस्तांतरण की तरह प्रचारित किया जा रहा...
The summary of the India-PakistanTensions
— Vidya Bhushan Rawat —
The summary of the #IndiaPakistanTensions is what I have said many times, is the Business and political interest of Anglo...
साप्ताहिकी
मनुष्य सबसे पहले
— परिचय दास —
कश्मीर की साँझ जब गुलाबी होती है
तो उसके भीतर भी एक रक्ताभ स्मृति छुपी होती है-
जैसे सूरज ने थककर किसी बेगुनाह...
संजय श्रमण की कविता!
समय कोई मुर्दा फिसलन नहीं
जो बोतल में बंद रेत की तरह
बस इधर से उधर सरकती है
समय मुर्दा कौमों की ज़िंदा याददाश्त है
हमेशा एक से...