28 दिसंबर। एआईटीयूसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य द्वारा नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर दिए बयान पर आपत्ति और विरोध जताते हुए इसे कॉर्पोरेट का समर्थन करने वाला बताया है। एआईटीयूसी के सचिव सी. श्रीकुमार ने संजीव सान्याल द्वारा एनपीएस को वापस लेने के खिलाफ दिए गए बयान के बाद, ट्रेड यूनियनों ने उनके बयान को श्रमिक विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक करार देकर विरोध करना शुरू कर दिया है।
एआईडीईएफ के महासचिव और एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, कि जो लोग एनपीएस को जारी रखने की बात कर रहे हैं, दरअसल वे सभी लोग ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ उठा रहे हैं। उनका आरोप है, कि वे लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं, कि एनपीएस के तहत पेंशनधारकों को अपनी पूरी सेवा के दौरान हर महीने अपने वेतन का 10% अंशदान करने के बाद 2000 रुपये से 5000 रुपये की मामूली पेंशन मिल रही है। आवश्यक वस्तुओं की बेकाबू कीमतों में इतनी रकम से कोई कैसे जिंदा रह सकता है?
एआईटीयूसी की माँग है कि सभी पेंशन योजनाओं को पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा कॉर्पोरेट कर, आयकर, संपत्ति कर बहाल करके, उत्तराधिकार कर आदि द्वारा वित्त पोषित किया जाए। 4 लेबर कोड, फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट, ईपीएस-95 मिनिमम पेंशन बढ़ाने की माँग को खारिज करना, ये सभी तथाकथित सुधार हैं। दूसरी ओर ये तथाकथित सुधार कॉरपोरेट्स की कर देनदारी को कम कर रहे हैं, “व्यापार सुगमता” (ईज आफ डूइंग बिजनेस) के लिए विभिन्न कानूनों को कम कर रहे हैं। एआईटीयूसी की माँग है कि सभी पेंशन योजनाओं को पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा कॉर्पोरेट कर, आयकर, संपत्ति कर बहाल करके, उत्तराधिकार कर आदि द्वारा वित्त पोषित किया जाए।