17 जून। हिंद मजदूर सभा ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए रास्ता साफ करने के केंद्र सरकार के फैसले पर सख्त विरोध जताया है। एचएमएस की विज्ञप्ति के मुताबिक केंद्र सरकार ने 220 साल पुराने आर्डनेन्स फैक्टरी बोर्ड के कारपोरेटीकरण के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है, प्रस्ताव को 16 जून को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई।
एचएमएस के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा है कि ओएफबी यानी आर्डनेन्स फैक्टरी बोर्ड ही देश की 41आर्डनेन्स फैक्टरियों को संचालित व नियंत्रित करता है। ओएफबी के कारपोरेटीकरण को मंजूरी देने का सीधा मतलब है कि सरकार रक्षा उत्पादन का क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खोलना चाहती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी यह क्षेत्र खुल जाएगा।
सिद्धू ने कहा है कि सरकार का ओएफबी संबंधी ताजा फैसला रक्षा उत्पादन को प्राइवेट हाथों में देने की सोची-समझी योजना का हिस्सा है। यह लागू हुई तो हमारी रक्षा संबंधी तैयारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बुरा असर पड़ेगा। सिद्धू ने कहा है कि हिंद मजदूर सभा ओएफबी के कारपोरेटीकरण की मंजूरी दिए जाने का कड़ा विरोध करती है और रक्षा क्षेत्र के सिविलियन कर्मियों के साथ खड़ी है।
सिद्धू ने यह भी कहा है कि सरकार का ओएफबी संबंधी ताजा फैसला पूर्व के रक्षामंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासन से उलट है। रक्षा मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति के सामने दिए गए आश्वासन के अलावा संसद में भी सरकार कह चुकी थी कि रक्षा उत्पादन को निजी हाथों में देने की उसकी कोई योजना नहीं है। अब सरकार जो कर रही है वह साफतौर पर संसद की अवमानना है।
सिद्धू ने कहा है कि हिंद मजदूर सभा ओएफबी के कारपोरेटीकरण के विरोध में अपनी इकाइयों और अन्य श्रमिक संगठनों का पुरजोर साथ देगी।