कोरोना के समय अन्ध विद्यालय को बंद करना उनकी शिक्षा और भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा

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12 जुलाई। वाराणसी स्थित श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्ध विद्यालय को बंद किए जाने से छात्रों में गहरा रोष है तथा वह इसका विरोध कर रहे हैं। छात्र-युवा संगठन यूथ फॉर स्वराज भी इस विरोध में शामिल है तथा उसने तथ्यों का पता लगाकर एक वक्तव्य जारी किया है। वक्तव्य के मुताबिक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्ध विद्यालय उत्तर प्रदेश में मौजूद चार दृष्टिहीन विद्यालयों में से एक है तथा पूर्वांचल क्षेत्र का सबसे बड़ा दृष्टिहीन विद्यालय है। दिनांक 12/07/2021 को दृष्टिबाधित छात्रों ने अन्ध विद्यालय बंद किये जाने के विरोध में विकलांग अधिकार छात्र समिति के बैनर तले लंका गेट (बीएचयू का प्रवेश द्वार) पर सभा की तथा दुर्गाकुंड तक मार्च किया। इस मार्च का उद्देश्य प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र कार्यलय में ज्ञापन सौपना था।

प्रदर्शनकारी छात्रों के अनुसार कोरोना के समय विद्यालय को बंद करना उनकी शिक्षा और भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। छात्रों का कहना है कि प्रबंधन समिति में मौजूद व्यापारियों द्वारा कोरोना काल के आर्थिक नुकसान की पूर्ति के लिए विद्यालय को बंद किया जा रहा है। श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार विद्यालय को बंद करने के विषय पर जिले के अफसरों से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को दृष्टिबाधित छात्रों ने प्रार्थनापत्र भेजा,पर अभी तक कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। छात्रों ने कहा कि देशभर के दृष्टिबाधित छात्रों को बनारस बुलाकर आनेवाले समय में आंदोलन को और तेज करेंगे। छात्रों की मांग है कि विद्यालय को सरकार अपने नियंत्रण में लेकर पुनः शुरू करे। इसके अलावा, छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है।

यूथ फॉर स्वराज ने कहा है कि वह हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के छात्रों के इस संघर्ष में उनके साथ खड़ा है। यूथ फ़ॉर स्वराज ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा जिला प्रशासन से अपील की है कि छात्रों को उनके अधिकार से वंचित ना किया जाए। दृष्टिहीन छात्रों की शिक्षा के लिए विशेष संस्थान और विशेष प्रशिक्षित अध्यापकों की आवश्यकता होती है, श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार विद्यालय के बंद होने से नेत्रहीन विद्यार्थियों के भविष्य पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ेगा। राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार विद्यालय के छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।

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