22 जुलाई। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया गया। मोर्चा ने इसे अपने आंदोलन का एक ऐतिहासिक दिन कहा है। किसान संसद पूरी तरह से अनुशासित और व्यवस्थित रही। सुबह पुलिस ने किसान संसद के प्रतिभागियों की बस को जंतर-मंतर जाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में इसे सुलझा लिया गया। दिल्ली पुलिस ने मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही का कवरेज करने से रोकने की भी कोशिश की, और उन्हें बैरिकेड लगाकर किसान संसद के आयोजन स्थल से काफी दूर रोक दिया गया।
किसान संसद में किसानों ने मोदी सरकार के मंत्रियों के खोखले दावों का खंडन किया। मोदी सरकार कई मंत्रियों ने कहा है कि किसानों ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि तीन कानूनों के साथ उनकी चिंता क्या है, और वे केवल इन्हें निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे हैं। एपीएमसी बाइपास अधिनियम पर चर्चा करते हुए, किसान संसद में भाग लेनेवालों ने कानून की असंवैधानिक प्रकृति, भारत सरकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, और कृषि आजीविका पर कानून के गंभीर प्रभावों के संबंध में कई बिंदु उठाए। उन्होंने दुनिया के सामने इस काले कानून के बारे में पक्ष विस्तार से रखा और बताया कि क्यों वे इसे निरस्त करने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं कर सकते।

इस बीच, किसान आंदोलन के समर्थन में कई सांसदों ने गुरुवार की सुबह गांधी प्रतिमा पर पार्टी लाइन से हटकर विरोध प्रदर्शन किया। वे किसानों द्वारा जारी पीपुल्स व्हिप का पालन कर रहे थे। कई सांसदों ने किसान संसद स्थल का दौरा भी किया। जैसा कि किसान आंदोलन में होता रहा है, एसकेएम नेताओं ने किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया, लेकिन सांसदों को मंच या माइक नहीं दिया गया। इसके बजाय उनसे संसद के अंदर किसानों की आवाज बनने का अनुरोध किया गया।
बलदेव सिंह सिरसा की दशा बिगड़ी
हरियाणा के सिरसा में सरदार बलदेव सिंह सिरसा का अनिश्चितकालीन अनशन गुरुवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। वे अस्सी वर्ष के हैं। उनकी सेहत बिगड़ गई है। उनका वजन छह किलो कम हो गया है और उनके बीपी तथा ग्लूकोज के स्तर में काफी गिरावट आयी है। उन्होंने यह कहते हुए उपवास शुरू किया था कि या तो वे अपने साथियों की रिहाई सुनिश्चित करेंगे या इसके लिए अपनी जान दे देंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरदार बलदेव सिंह सिरसा को कुछ भी होने पर आंदोलन की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया की हरियाणा सरकार को चेतावनी दी है और कहा है कि उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा पूरी तरह से हरियाणा सरकार की जिम्मेदारी है। एसकेएम एक बार फिर मांग की है कि गिरफ्तार किए गए युवा किसान नेताओं को अविलम्ब रिहा किया जाए, और सरकार द्वारा बिना किसी देरी के मामलों को वापस लिया जाए।
दुर्घटना में दो किसान नेताओं की मौत
संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को कर्नाटक गडग जिले के नरगुंड में शहीद स्मारक बैठक के बाद एक सड़क दुर्घटना में मारे गए कर्नाटक राज्य रैयत संघ के दो वरिष्ठ नेताओं, टी रामास्वामी और रमन्ना चन्नापटना के प्रति गहरा सम्मान और शोक व्यक्त किया है। एसकेएम ने कहा है कि उनका निधन कर्नाटक में किसान संगठनों और किसान आंदोलन के लिए गहरी क्षति है।
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