किसान संसद के दो दिन, सरकार के झूठ का पर्दाफाश, संकल्प प्रस्ताव पारित

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23 जुलाई। जंतर मंतर पर आयोजित किसान संसद में आज संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 200 किसानों ने भाग लिया। सब कुछ व्यवस्थित, अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा। शुक्रवार की कार्यवाही में एक प्रश्नकाल भी शामिल था, और कल की बहस की निरंतरता में, आज की बहस एपीएमसी बाईपास अधिनियम पर केंद्रित थी। आज किसान संसद में ‘कृषिमंत्री’ के इस्तीफे की भी घोषणा हुई।

एपीएमसी बाईपास अधिनियम पर दो दिवसीय बहस के अंत में किसान संसद ने सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव पारित किया। संकल्प प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय द्वारा कार्यान्वयन को निलंबित करने से पहले जून 2020 से जनवरी 2021 तक एपीएमसी बाईपास अधिनियम के संचालन के प्रतिकूल अनुभव को संज्ञान में लेता है। इसमें शोषण और धोखाधड़ी के वजह से किसानों का करोड़ों रुपये का नुकसान, एपीएमसी लेनदेन में आई कमी, और बड़ी संख्या में मंडियों को हुए भारी नुकसान जो उन्हें बंद होने के कगार पर धकेल रही है, शामिल हैं।

प्रस्ताव में कहा गया है कि “किसानों को कम मंडियों की नहीं, बल्कि अधिक संख्या में मंडियों के परिचालन की आवश्यकता है”। प्रस्ताव ने संविधान और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को कमजोर करने का उल्लेख कर, जिस पर कानून आधारित था, केंद्रीय कानून को तत्काल निरस्त करने का आह्वान किया। प्रस्ताव में राज्य सरकारों से अपनी मंडी प्रणाली में किसानों के हितों की रक्षा करने वाले सुधार लाने को भी कहा गया है।

किसान संसद की दो दिवसीय कार्यवाही ने एक बार फिर किसानों को बदनाम करने की भाजपा-आरएसएस की साजिश का पर्दाफाश किया।

भारत की संसद के अंदर, कृषि कानूनों और किसानों के अनिश्चितकालीन विरोध के मुद्दे को कई सांसदों ने पार्टी लाइनों से अलग आकर उठाया। आज सुबह एक बार फिर गांधी प्रतिमा पर कई सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय कृषि मंत्री का फिर से उन तख्तियों से अभिनंदन किया गया जो किसान आंदोलन के संदेश सीधे संसद और सरकार तक ले गए थे। किसान आंदोलन के समर्थन में कई सांसद संसद में पहले ही कई स्थगन-प्रस्ताव पेश कर चुके हैं और कई प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है।

हर तरफ से अपने आप को घिरा हुआ महसूस करते हुए, कृषि मंत्री ने कथित तौर पर कहा है कि सरकार ‘किसानों के साथ बातचीत करने को तैयार है, अगर वे प्रस्ताव लेकर आते हैं’। यह प्रस्ताव महीनों पहले ही सरकार को किसानों द्वारा सौंपा जा चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा ने फिर दोहराया है कि – किसान पीछे नहीं हटेंगे और तीन काले कानूनों को पूरी तरह से निरस्त किए बिना और सभी किसानों के लिए कानूनी के रूप में एमएसपी हासिल किए बिना घर वापस नहीं जाएंगे।

मंत्री की टिप्पणी की निंदा

मोदी सरकार में मंत्री मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को मीडिया के सामने को किसानों को “मवाली” कहा, संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी कड़ी निंदा की है। यह भी कहा है कि बात वापस लेने की उनकी सांकेतिक टिप्पणी अस्वीकार्य है।

एसकेएम ने एक बार फिर कहा है कि सरकार हर मौके पर किसानों को बदनाम करती रही है। कल, एक मीडियाकर्मी के शरीर पर चोट के बाद भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने किसानों को हिंसक और दोषी ठहराया गया था, जबकि यह पता चला है कि यह दो मीडियाकर्मियों के बीच का विवाद था, जिसके कारण दुर्भाग्यपूर्ण चोट लगी! एसकेएम ने मांग की है कि गौरव भाटिया तुरंत माफी मांगें।

सिरसा में किसानों की जीत किसानों पर राजद्रोह के केस थोपे जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे सरदार बलदेव सिंह सिरसा ने पांच दिनों के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया। गिरफ्तार किसान रिहा कर दिए गए हैं। हिसार और टोहाना के बाद एक बार सिरसा में किसानों के सत्याग्रह की जीत हुई है।

बिजली बिल पर मुकरने के खिलाफ चेतावनी

संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा संसद के मानसून सत्र में बिजली संशोधन विधेयक 2021 को कार्य के लिए सूचीबद्ध किया जाने का जिक्र करते हुए कहा है कि सरकार किसान प्रतिनिधियों के साथ औपचारिक बातचीत के दौरान किए गए वायदे से मुकर गयी है। ऐसे में बातचीत का माहौल और बातचीत से कुछ निकलने का भरोसा कैसे बनेगा? वादे से मुकरने के खिलाफ किसान मोर्चा ने सरकार को चेताया है।

किसान संसद द्वारा पारित संकल्प (23-07-2021 ) किसान संसद में 22 और 23 जुलाई को हुए विचार-विमर्श के आधार पर :

1. यह स्पष्ट करने के बाद कि एपीएमसी बाईपास अधिनियम के प्रावधानों को किसानों के हितों की कीमत पर कृषि व्यवसाय कंपनियों और व्यापारियों के पक्ष में तैयार किया गया है, मौजूदा विनियमन (रेगुलेशन) और निगरानी तंत्र को खत्म करके, और बड़े कॉर्पोरेट द्वारा कृषि बाजारों के प्रभुत्व को बढ़ावा देगा;

2. जून 2020 से जनवरी 2021 तक एपीएमसी बाईपास अधिनियम के संचालन के प्रतिकूल अनुभव को संज्ञान में लेने के बाद, जहां अपंजीकृत व्यापारियों द्वारा भुगतान न करने और धोखाधड़ी के कारण किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, जहां अधिकांश एपीएमसी मंडियों में व्यापारियों और कंपनियों द्वारा खरीद में आधी हो गई है, और जहां बड़ी संख्या में एपीएमसी मंडियों को भारी नुकसान हुआ है जिससे वे बंद होने के कगार पर पहुंच गई हैं;

3. यह निष्कर्ष पर आने के बाद कि एपीएमसी बाईपास अधिनियम के कारण, अधिकांश मंडियां धीरे धीरे समाप्त हो जाएंगी, क्योंकि कॉरपोरेट और व्यापारी अधिनियम द्वारा बनाए गए अनियमित “व्यापार क्षेत्रों” की ओर बढ़ रहे हैं;

4. किसानों से यह सुनकर कि उन्हें मंडियों में कमी नहीं, बल्कि अधिक संख्या में संचालित मंडियों की आवश्यकता है, और सरकार को सरकारी व्यापार और भंडारण सुविधाओं के विकास में निवेश करने की आवश्यकता है, और किसानों को कॉर्पोरेट के चंगुल में नहीं छोड़ना चाहिए;

5. यह समझने के बाद कि जुलाई 2019 में केंद्र की अपनी प्रस्तुति के अनुसार, अधिकांश राज्य सरकारों ने एपीएमसी बाजार प्रणाली को नुकसान पहुंचाने के लिए कदम उठाए हैं, और यह कि व्यापार प्रणाली में आगे कोई भी बदलाव किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए, और राज्य सरकारों के तत्वावधान में होना चाहिए जो किसानों के लिए अधिक सुलभ और जवाबदेह हैं;

6. यह समझने के बाद कि एपीएमसी बाईपास अधिनियम के माध्यम से, केंद्र ने संविधान और संघीय ढांचे की लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को कमजोर करते हुए, राज्य सरकार की शक्तियों को हड़प लिया है;

किसान संसद संकल्प करती है कि :

क. सितंबर 2020 में लाए गए APMC बाईपास अधिनियम को संसद द्वारा तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए; किसानों की संसद इस अधिनियम को रद्द करती है और संसद को आदेश देती है कि इसे रद्द करे।

राज्य सरकारों को किसान संगठनों के परामर्श से, किसानों के लिए व्यापार और भंडारण सुविधाओं को मजबूत करना चाहिए; अधिक पारदर्शिता, और छोटे व्यापारियों, महिला किसानों और भूमिहीन किसानों की सुविधा, और अनुचित और प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं की समाप्ति के लिए, मंडी प्रणाली में सुधार लाना चाहिए; प्रत्येक किसान के 10 किमी के भीतर एक मंडी हो के लिए अधिक मंडियों की स्थापना करनी चाहिए; और केंद्र को राज्यों से शक्ति छीनने के बजाय ऐसे सुधारों के आयव्यन में मदद करनी चाहिए।

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