9 अगस्त। देश के दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने अपने साझा निर्णय के तहत 9 अगस्त को दिल्ली में मंडी हाउस पर विरोध प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि 9 अगस्त क्रांति की ऐतिहासिक तारीख है, जिस दिन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन यानी स्वाधीनता संघर्ष का निर्णायक आंदोलन शुरू हुआ था। 8 अगस्त, 1942 को इस निर्णायक आंदोलन का ऐलान करते हुए महात्मा गांधी ने दो बातों पर विशेष जोर दिया था। एक यह कि भावी भारत यानी आजाद भारत किसानों और मजदूरों का होगा। दूसरे, हमें हर हाल में फूट डालने की साजिशों से सावधान रहना है और सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखना है। उस ऐतिहासिक संघर्ष को और 1942 के सेनानियों तथा शहीदों को याद करते हुए हर साल 9 अगस्त को तमाम संगठन कुछ न कुछ आयोजन करते रहे हैं।
दस केंद्रीय श्रमिक संगठन पहले से ही मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों को लेकर विरोध अभियान चला रहे हैं। उनमें इस बात को लेकर गहरा रोष है कि मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके 4 लेबर कोड बना दिये, श्रम कानूनों में यह बदलाव पूंजीपतियों को खुश करने के लिए किया गया है। इस तरह, श्रमिक आंदोलन ने दशकों के संघर्ष से अपने हित में जो कानून बनवाने में सफलता हासिल की थी, उस उपलब्धि को मोदी सरकार ने एक झटके में छीन लिया है।
श्रमिक संगठन इस बात से भी नाराज हैं कि मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का ताबड़तोड़ निजीकरण करती जा रही है। रेल, बीमा, कोयला, बैंक, हवाई अड्डे, बंदरगाह से लेकर रक्षा सामग्री के उत्पादन तक सब कुछ कॉरपोरेट को सौंपती जा रही है। और अब तीन कृषि कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र को भी कॉरपोरेट के हवाले करने का इंतजाम कर दिया गया है। इस सब के मद्देनजर श्रमिक संगठनों ने देश बचाओ का नारा दिया है।
9 अगस्त को, अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक, ट्रेड यूनियनों के नेता और कामगार दिल्ली में मंडी हाउस पर हजारों की तादाद में इकट्ठा हुए। वे मार्च करते हुए संसद भवन तक जाना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और बैरिकेड्स लगा दिये। तब प्रदर्शनकारियों ने मंडी हाउस पर ही विरोध-सभा की। सभा को संबोधित करते हुए हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि मोदी सरकार श्रमिकों और किसानों के हितों व अधिकारों पर लगातार हमले कर रही है। हमें इन हमलों का मजबूती से प्रतिकार करना है और इन हमलों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़नी है।