5 सितंबर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में होनेवाली किसान महापंचायत पर दुनिया भर की निगाह लगी थी। और यह महापंचायत वैसी ही हुई जैसी उम्मीद थी। इसमें 10 लाख से अधिक किसान शामिल हुए, और ये सिर्फ स्थानीय किसान नहीं थे। इसमें उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों के अलावा अन्य राज्यों से भी किसान नेताओं और किसान प्रतिनिधियों ने शिरकत की। यह ऐतिहासिक किसान मजदूर महापंचायत 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में एसकेएम यानी संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित की गयी।
एक दिन पूर्व शाम से ही भारी संख्या में किसान मुजफ्फरनगर पहुंचने लगे थे। विशाल जीआईसी मैदान रविवार को सुबह से ही लाखों उत्साही और दृढ़निश्चयी किसानों से गुलज़ार होने लगा। रैली मैदान की ओर जानेवाले सभी मुख्य मार्ग हजारों किसानों से भर गये। मुजफ्फरनगर में शाम तक लोगों, ट्रैक्टरों, कारों, बसों का आना-जाना जारी था। मुजफ्फरनगर का पूरा शहर रैली मैदान में बदल गया।
राज्य, धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषा के भेद को काट, लोगों का एक सैलाब उमड़ पड़ा, जिसने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों को एक जोरदार और स्पष्ट संदेश भेजा। किसान मजदूर महापंचायत को समाज के सभी वर्गों का अभूतपूर्व समर्थन मिला। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लाखों किसानों को घंटों इंतजार करना पड़ा और बहुतों को मैदान के बाहर से भाषण सुनना पड़ा, जिसके लिए कई किलोमीटर तक एक संबोधन प्रणाली स्थापित की गयी थी।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और देश के कई अन्य राज्यों से लाखों किसान आए। इनमें पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और अन्य राज्य भी शामिल थे। महिला एवं युवा किसान भारी संख्या में पहुंचे। यह शायद भारत में अब तक की सबसे बड़ी किसानों की रैली थी। किसान हजारों राष्ट्रीय झंडे और अपने किसान संगठनों के झंडे लिये हुए थे। पूरे शहर में एक बहुत ही रंगीन नजारा था।
रैली के दौरान रह-रहकर किसान-मजदूर एकता के नारे लगते रहे और किसान-विरोधी भाजपा सरकार की हार का आह्वान किया गया। दूर-दूर से आए किसानों की मदद के लिए सैकड़ों लंगर, चिकित्सा शिविर और मोबाइल क्लीनिक स्थापित किये गये थे।
मुजफ्फरनगर किसान मजदूर महापंचायत से एसकेएम के मिशन उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड का भी आरंभ हो गया, जो दोनों राज्यों में 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने और केंद्रीय कानून के लिए C2 + 50% पर एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए किसानों के संघर्ष को मजबूत करेगा, और आनेवाले राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की करारी हार सुनिश्चित करेगा। सभी वक्ताओं ने कहा कि किसान-मजदूर एजेंडा भाजपा-आरएसएस की सांप्रदायिक और जातिवादी राजनीति पर विजय प्राप्त करेगा। किसान मजदूर महापंचायत ने ऐलान किया कि किसान अब कभी भी देश में सांप्रदायिक दंगे नहीं होने देंगे। किसान आंदोलन के सभी नारे हिन्दू-मुस्लिम एकता को मजबूती देनेवाले होंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार अंग्रेजी हुकूमत की ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति के बल पर राज कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह महापंचायत केंद्र सरकार को चेतावनी देने के लिए की गयी है। सभी जातियों, सभी धर्मावलंबियों और सभी तबकों के समर्थन से लाखों किसानों की रैली के बावजूद यदि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तथा कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी नहीं देती है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि बेरोजगारी के सवाल को लेकर शीघ्र ही संघर्ष की योजना बनायी जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि योगी सरकार ने किसानों से जो वायदे किये थे वे पूरे नहीं किये हैं। फसल खरीद के वायदे के अनुसार 20% की खरीद भी नहीं की गयी है। यूपी सरकार ने 86 लाख किसानों की कर्जा माफी का वादा किया गया था जबकि 45 लाख किसानों का भी कर्ज माफ नहीं हुआ है। केंद्र सरकार की एजेंसी सीएसीपी ने पाया है कि वर्ष 2017 में गन्ना की लागत प्रति क्विंटल 383 थी, लेकिन किसानों को 325 रुपये क्विंटल का भुगतान किया गया, तथा गन्ना मिलों पर किसानों का 8,700 करोड़़ रुपया बकाया है। उत्तर प्रदेश में फसल बीमा का भुगतान वर्ष 2016-17 में 72 लाख किसानों को किया गया, वहीं 2019-20 में 47 लाख किसानों को ही किया गया, जिसमें फसल बीमा कंपनियों को 2,508 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। किसान मजदूर महापंचायत ने उत्तर प्रदेश सरकार के वायदे के अनुसार 450 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का रेट देने की मांग करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की आगामी बैठक में आंदोलन का ऐलान करने का निर्णय लिया है।
किसान मजदूर महापंचायत ने 27 सितंबर, सोमवार को भारत बंद को पूरे देश में व्यापक रूप से सफल बनाने का आह्वान किया। अपरिहार्य कारणों से भारत बंद की पूर्व घोषित तिथि में परिवर्तन किया गया है।
महापंचायत को एसकेएम के सभी प्रमुख नेताओं और उपस्थित सभी राज्यों के नेताओं ने संबोधित किया। इनमें कई महिलाएं और युवा वक्ता भी शामिल थे। उनमें से प्रमुख राकेश टिकैत, नरेश टिकैत, धर्मेंद्र मलिक, राजेश सिंह चौहान, राजवीर सिंह जादौन, अमृता कुंडू, बलबीर सिंह राजेवाल, जगजीत सिंह दल्लेवाल, डॉ दर्शनपाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), हन्नान मौल्ला, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, युद्धवीर सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, बलदेव सिंह निहालगढ़, रुलदु सिंह मनसा, कुलवंत सिंह संधू, मनजीत सिंह धनेर, हरमीत सिंह कादियां, मनजीत राय, सुरेश कोथ, रंजीत राजू, तेजिंदर सिंह विर्क, सत्यवान, सुनीलम, आशीष मित्तल, डॉ सतनाम सिंह अजनाला, सोनिया मान, जसबीर कौर, जगमती सांगवान के अलावा विभिन्न खापों के प्रध
एसकेएम ने उन लाखों किसानों को बधाई दी और धन्यवाद दिया जो आज भाजपा की योगी सरकार द्वारा लगाये गये सभी अवरोधों को लांघ मुजफ्फरनगर पहुंचे, और उनसे किसान आंदोलन की मशाल को भारत के हर कोने में ले जाने का आह्वान किया।