प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर युवाओं ने मनाया जुमला दिवस

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17 सितंबर। देश में बेरोजगारी के मसले पर युवाओं को लामबंद करने में जुटे ‘युवा हल्ला बोल’ की मुहिम शुक्रवार को रंग लाई। बेरोजगारी दिवस, नेशनल अनएंपलायमेंट डे और जुमला दिवस के हैशटैग ट्विटर पर दिन भर ट्रेंड करते रहे। जुमला दिवस के लाखों ट्वीट्स ने भाजपा के आईटी सेल और ट्रोल आर्मी की बोलती बंद कर दी। लेकिन प्रधानमंत्री के जन्मदिन को क्षोभ जताने के अवसर में बदल देना सोशल मीडिया तक सीमित नहीं था।

बेरोजगारी को बहस के केंद्र में लानेवाले ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम की अपील पर प्रधानमंत्री के जन्मदिन को देशभर में ‘जुमला दिवस’ के तौर पर मनाने के क्रम में बेरोजगारी, महँगाई और निजीकरण के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। जुमला केक काटने, ताली थाली बजाने से लेकर बेरोजगारी मार्च निकालने तक, विविध तरीकों से जुमला दिवस मनाया गया। बेरोजगार युवाओं में विशेष तौर पर उत्साह देखा गया, साथ ही बैंककर्मियों ने भी भारी संख्या में प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

लगातार दूसरे साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर पर जुमला दिवस, बेरोजगारी दिवस समेत कई तरह के विरोध प्रदर्शन देखे गए। कार्यक्रम तो कई राज्यों में हुए लेकिन ‘जुमला दिवस’ का कार्यक्रम मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के विभिन्न जिलों में आयोजित हुआ। इस अवसर पर कहीं ताली थाली बजायी गयी, कहीं जुमला केक काटा गया तो कहीं बेरोजगारी मार्च निकाला गया।

अनुपम ने बताया गया कि ‘जुमला दिवस’ मनाने के पीछे मोदी जी पर व्यक्तिगत प्रहार करने की मंशा नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर तो हम उनकी लंबी आयु की शुभकामना देते हैं और ईश्वर से सद्बुद्धि और संवेदनशीलता देने की भी कामना करते हैं। लेकिन जिस तरह किसी नेता की पहचान किसानों से होने पर उनकी जयंती किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिनकी शिक्षकों से रही तो शिक्षक दिवस और जिनका बच्चों से प्यार रहा तो बाल दिवस, उसी तरह मोदी जी की सबसे मजबूत पहचान आज “जुमलों” से होती है। बेरोजगार युवाओं, सरकारी कर्मचारियों, मध्यम वर्ग, किसानों, महिलाओं सबको किए वादे आज जुमला साबित हुए हैं।

हर साल दो करोड़ रोजगार देने, पेट्रोल-डीजल सस्ता करने, विदेश से काला धन वापिस लाने, गंगा सफाई करने, संसद को अपराधियों से मुक्त करने, बहुत हुई महँगाई की मार, देश नहीं बिकने दूंगा, रेलवे का कभी निजीकरण नहीं होगा जैसे न जाने कितने वादों की गिनती आज जुमलों की फेहरिस्त में होती है। इसलिए आज देश मजबूर है उनके जन्मदिन को ‘जुमला दिवस’ के रूप में मनाने को।

सफल कार्यक्रम के लिए ‘युवा हल्ला बोल’ के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा, “आज बधाई उन शिक्षित योग्य युवाओं को, जिन्होंने रोजगार के नाम पर दिए गए जुमले के खिलाफ आवाज उठाई, बधाई उन बैंक-कर्मियों को जो बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आज बोले, बधाई उन नागरिकों को जो आज महंगाई पर बोले, समाज के हर वर्ग को आज जुमला दिवस मनाने पर बधाई।” गोविंद मिश्रा ने कहा कि पढ़ाई, कमाई और दवाई के लिए चल रही युवा हल्ला बोल की मुहिम को अब और मजबूती से देश भर में ले जाएंगे, साथ ही देश भर में संगठन विस्तार भी करेंगे।

– ऋषव रंजन

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