किसानों के साथ एकजुटता की अपील

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23 सितंबर। 27 सितंबर को घोषित भारत बंद से पहले, संयुक्त किसान मोर्चा ने हर भारतीय नागरिक से किसान-विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक बंद में शामिल होने की अपील की है। अपनी अपील में एसकेएम ने कहा है कि किसानों का आंदोलन अब हमारी अर्थव्यवस्था पर कॉर्पोरेट कब्जे को रोकने, राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करने, भारत संघीय स्वरूप को बचाने, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं तथा मूल्यों को बहाल करने और भारत की एकता की रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बन चुका है। यह अपील सभी भारतीयों से इस आंदोलन में शामिल होने और भारत बंद को एक शानदार सफलता बनाने का अनुरोध करती है।

एसकेएम ने बंद के दिन मजदूरों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यवसायियों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के सभी संगठनों और सभी सामाजिक आंदोलनों से किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की विशेष रूप से अपील की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- “हम सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों का भी आह्वान करते हैं, जिनमें से कई ने हमारे पहले के आह्वान का समर्थन किया है और आंदोलन का समर्थन करनेवाले प्रस्ताव पारित किए हैं, इस भारत बंद को अपना समर्थन दें और लोकतंत्र और संघीय सिद्धान्तों की रक्षा के लिए किसानों के साथ खड़े हों। हमारी स्थापित नीति का पालन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे।” यह याद करना जरूरी है कि कुछ राज्य सरकारों ने पूर्व में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बंद के आह्वान का समर्थन करने के लिए कदम आगे बढ़ाया था।

बैंक अधिकारी संघ का समर्थन

इस बीच, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने 27 सितंबर को एसकेएम द्वारा बुलाए गए भारत बंद को समर्थन देते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। एआईबीओसी ने भारत सरकार से विरोध कर रहे किसानों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने और 2020 के किसान-विरोधी कानूनों को रद्द करने का भी आग्रह किया।

भाजपा नेताओं का विरोध

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ स्थानीय विरोध के बारे में खबरें आती रही हैं। स्थानीय किसानों द्वारा काले झंडे के जरिए किया जा रहा विरोध न केवल भाजपा और सहयोगी दलों के पदाधिकारियों, विधायकों और सांसदों के खिलाफ है, बल्कि इन राज्यों में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ भी है। कल, केंद्रीय विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के बाद क्षेत्र के अपने पहले दौरे पर ग्वालियर में किसानों ने काले झंडे दिखाए। काले झंडेवाले वाहनों पर चढ़कर विरोध कर रहे युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लियाI

हनुमानगढ़ में किसान जागृति अभियान

किसान आंदोलन के समर्थन में और 27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर तीव्र लामबंदी हो रही है। इन्हीं प्रयासों के तहत राजस्थान के हनुमानगढ़ में आज दो दिवसीय किसान जागृति अभियान की शुरुआत की गयी है। इस किसान जागृति अभियान में दो दिनों में आठ किसान सम्मेलनों की योजना बनायी गयी है।

तैयारी बैठकें

झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओड़िशा और अन्य राज्यों में तैयारी बैठकें हो रही हैं। पटना में गुरुवार को मोटरसाइकिल रैली का आयोजन किया गया। कल गिरिडीह में योजना बैठक हुई।

प्रयागराज में किसान पंचायत

प्रयागराज के घोरपुर में आज किसान पंचायत में किसान आंदोलन की मांगों को लेकर जनसैलाब उमड़ा। महिलाओं ने मनरेगा के तहत कार्यदिवसों को बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग की, साथ ही मजदूरी दरों में 500 रुपये की वृद्धि, साथ ही पीडीएस राशन में वृद्धि की मांग की। बुंदेलखंड और मध्यप्रदेश की सीमा से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के गंगा-जमुना क्षेत्र के ट्रांस-जमुना क्षेत्र से कई हजार किसान और श्रमिक इस किसान पंचायत में शामिल हुए।

सतपाल की मिसाल

असाधारण व्यक्तियों द्वारा जोश और धैर्य के साथ शामिल होने से इस आंदोलन को मजबूती मिली है। उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक प्रतिबद्ध प्रदर्शनकारी सतपाल सिंह ठुकराल वर्तमान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए नंगे पांव टिकरी बॉर्डर से पैदल चलकर पहुंचे थे। ठुकराल ने कसम खायी थी कि जब तक सरकार 3 काले कानूनों को निरस्त नहीं करेगी, वह नंगे पैर चलेंगे, और अनाज भी नहीं खाएंगे। वह 27 फरवरी से सिर्फ दूध और फलों का सेवन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि मोर्चा सतपाल के जज्बे को सलाम करता है, सतपाल का जीवट प्रेरणादायी है।

बरनाला में भाजपा नेता ने छोड़ी पार्टी

जब से यह आंदोलन शुरू हुआ है, तब से कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए साहसपूर्वक आवाज उठायी है, और कुछ पार्टी को छोड़ भी चुके है, या पार्टी से निकाले जाने तक आवाज उठायी है। एक ताजा घटनाक्रम में, पंजाब के बरनाला में, भाजपा युवा मंडल अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ दी और राज्य के किसान संगठन भाकियू कादियान में शामिल हो गए।

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