— शिवानंद तिवारी —
यह किस प्रकार की देशभक्ति है! देश के अंदर जो कमजोर हैं उन पर बहादुरी आजमाइए। उनको प्रताड़ित कीजिए, उनको डराइए और धमकाइए। पड़ोसियों के मामले में जिस पाकिस्तान को हम तीन-तीन मर्तबा युद्ध में हरा चुके हैं। हमारी वजह से पाकिस्तान एक से दो देश बन गया। उसके सामने ताल ठोंकिए। और चीन, जो हमारे देश की लाखों वर्ग मील जमीन पर कब्जा जमा कर बैठा है, उसके सामने दुम दबा लीजिए! मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी की चीन के समक्ष इस दुम दबाऊ नीति की गंभीर कीमत देश को चुकानी पड़ेगी।
2020 के जून महीने में अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी इलाके से भारतीय जनता पार्टी के सांसद तापीर गाव ने प्रधानमंत्री मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर बताया था कि चीन हमारी सीमा के अंदर पक्के और स्थायी ढांचे का निर्माण कर रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री जी ने अपने सांसद द्वारा दी गयी जानकारी की सत्यता से इनकार किया और कहा कि यह सच नहीं है। अब तो पेंटागन यानी अमेरिकी रक्षा विभाग ही उक्त सांसद के बयान की तसदीक कर रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सांसद द्वारा दी गयी अतिक्रमण की जानकारी की सत्यता से इनकार कर दिया था। प्रधानमंत्री द्वारा इस आरोप से इनकार करने से चीन को एक ठोस आधार मिल गया है। चीन कह रहा है कि उसने जो भी निर्माण किया है अपनी सीमा के अंदर किया है। अपने पक्ष में वह प्रधानमंत्री मोदी के ही कथन का हवाला दे रहा है।
आजाद भारत के इतिहास में किसी भी सरकार ने अपने देश की भौगोलिक संप्रभुता के साथ ऐसा खिलवाड़ नहीं किया! नेहरू के समय जब चीन हमारे इलाके में घुस आया था उसने पक्के निर्माण कर लिये थे तो उस समय विरोधी दल के नेताओं ने इस मसले पर व्हाइट पेपर (श्वेत पत्र) निकाल कर देश को सही स्थिति की जानकारी देने की मांग की थी। सरकार ने व्हाइट पेपर निकाला और उसके जरिये संसद तथा देश को सही स्थिति की जानकारी मिली। इतना ही नहीं, 1962 के युद्ध में चीनी हमले में हमारे देश की बुरी गत बन गयी थी। उस पर भी संसद में लंबी बहस हुई थी। विरोधी दल के ही एक सांसद ने सुझाव दिया था कि यह अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है। इस पर जब संसद में चर्चा हो तो मीडिया के लिए उसे प्रतिबंधित कर दिया जाय। लेकिन जवाहरलाल नेहरू इस पर तैयार नहीं हुए, उन्होंने कहा कि देश की जनता को भी इस मामले की पूरी जानकारी पाने का अख्तियार है। और उस चर्चा की विस्तृत खबर मीडिया में आयी। आज तो हालत यह है कि मीडिया का बड़ा हिस्सा मोदी सरकार के सामने दंडवत है।
देश की सुरक्षा पर चीन की ओर से गंभीर खतरा है। हमारी सीमा पर उसकी जबरदस्त तैयारी है। खबरों के अनुसार वह पीछे हटने को तैयार नहीं है भले ही हमारे देश से उसको युद्ध क्यों न करना पड़े। दूसरी ओर, देशभक्ति का दम भरनेवालों की सरकार देश को अंदर से ही विभाजित कर उसको कमजोर कर रही है। यह याद रखने की बात है कि देश की सुरक्षा सिर्फ सेना नहीं करती है बल्कि देश के तमाम नागरिक भी मजबूती के साथ एकजुट होकर देश पर आए किसी भी खतरे का मुकाबला करते हैं।
आज हमारा देश अंदर से विभाजित है। जिस सरकार पर देश के अंदर किसी भी तरह के तनाव या विभाजन को दूर कर तमाम नागरिकों मजबूती के साथ एकजुट रखने की जवाबदेही है, वही सरकार और उसके समर्थक देश को अंदर से विभाजित कर रहे हैं। यह अत्यंत गंभीर चिंता की बात है। देश के समक्ष चीन की ओर से जो गंभीर चुनौती है सरकार इसको भी छुपा रही है। हम सरकार से मांग करते हैं कि अभी अमेरिका के पेंटागन ने हमारी उत्तर पूर्व सीमा के अंदर चीन द्वारा जो स्थायी निर्माण की जानकारी दी है उसके विषय में देश को सही सही जानकारी दी जाए।