29 नवंबर। प्रयागराज जिले के फाफामऊ क्षेत्र के गोहरी गांव में पति-पत्नी और दो बच्चों समेत पूरे परिवार की बर्बर तरीके से की गयी हत्या के संबंध में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की प्रयागराज इकाई ने एक जांच रिपोर्ट जारी की है।
पीयूसीएल की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 नवंबर को अखबारों के माध्यम से प्रयागराज के फाफामऊ क्षेत्र के गोहरी गांव में एक दलित परिवार के चार सदस्यों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या करने की सूचना मिली, उसी परिवार की 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हत्या से पहले बलात्कार की बात भी आशंका भी जतायी गयी थी। हत्या का कारण पुलिस ने व्यक्तिगत रंजिश बताया, जबकि मृतक परिवार के घरवालों का आरोप था कि यह हत्या गांव के सवर्ण (ठाकुर) परिवार द्वारा जातीय दबंगई में की गयी है।
उत्तर प्रदेश का यह क्षेत्र पहले भी जातीय उत्पीड़न की घटनाओं के लिए समाचार में आता रहा है। अतः विभिन्न राजनीतिक दल भी घटनास्थल पर अगले दिन से ही पहुंचने लगे थे और उनका आरोप था कि यह सरासर जातीय उत्पीड़न की घटना है। अतः इस मामले की जांच के लिए पीयूसीएल की प्रयागराज इकाई द्वारा गठित टीम ने 27 नवंबर 2021 को गोहरी गांव का दौरा किया। टीम में पीयूसीएल के सदस्य आनंद मालवीय, गायत्री गांगुली, सोनी आजाद, अंकेश मद्धेशिया और पीयूसीएल के प्रयागराज जिला सचिव मनीष सिन्हा शामिल थे।
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमैंस एसोसिएशन (AIDWA) की स्वाति गांगुली और किरण गुप्ता भी जांच टीम के साथ थीं। पीयूसीएल की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष वहाँ मौजूद थे। जांच टीम ने मृतक परिवार के मुखिया फूलचंद के चारों भाइयों व परिवार की महिला सदस्यों से मुलाकात की, और उनके बयान लिये।
पृष्ठभूमि
प्रयागराज जिले के सोरांव थाने के अंतर्गत आनेवाले गोहरी गांव की आबादी करीब 16 हजार है। इस गांव में दलितों के अलावा मुख्यतौर पर पटेल, ठाकुर, कुम्हार, भुजवा, मौर्य जाति के लोग रहते हैं। इसमें पासी जाति के मात्र दो परिवार हैं। एक परिवार के मृतक फूलचंद व उनके अन्य चार भाई दीपचंद, लालचन्द, भारत और किशनचंद हैं। जिनका दो जगह घर है। एक घर सड़क के दायीं तरफ कुछ अंदर है जहां लालचन्द, भारत और किशनचन्द का परिवार रहता है। सबसे बड़े भाई दीपचंद अपने ससुराल में रहते हैं। फूलचंद का दूसरा घर सड़क के बायीं तरफ है, जो कि ग्राम समाज से पट्टे में कोटे पर कोई 12-13 साल पहले मिली है। यहां फूलचंद अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते थे। फूलचंद का बेटा पैर, जुबान और कान से विकलांग था। फूलचंद के घर के बायीं तरफ खेत है और दायीं तरफ किसी और की एक टूटी-फूटी दीवाल है। पीछे की तरफ ईंटभट्टा तथा आगे की तरफ मुख्य सड़क है। दोनों घर के बीच की दूरी लगभग 150 से 200 सौ मीटर है।
घटना और घटनास्थल का विवरण
जांच टीम के मुताबिक, 25 नवंबर 2021 की सुबह गांव के ही संदीप कुमार उधर से गुजरे। फूलचंद के घर का दरवाजा खुला देखकर झोंपड़ी के अंदर झांके तो कोई नहीं था। तब उन्होंने पड़ोस में रहनेवाले फूलचंद के भाई किशनचंद को सूचना दी, जो सीमा सुरक्षा बल में तैनात हैं। वह इन दिनों छुट्टी पर घर आए हैं। जब किशनचंद ने आकर घर के अंदर जाकर देखा तो उनके भाई फूलचंद (50), भाभी मीनू (45) खून से लथपथ पड़े थे। थोड़ी दूर पर भतीजा शिव (17) और अंदर के कमरे में भतीजी सपना(17) खून से लथपथ मृत अवस्था में पड़े थे। 17 वर्षीय लड़की सपना का शरीर नग्न अवस्था में पड़ा था। वहीं उसकी मां मीनू के भी कपड़े अस्त-व्यस्त स्थिति में थे, जिससे उनके साथ भी बलात्कार होने का भी अनुमान लगाया गया। सपना जिस रस्सी की चारपाई पर थी, उसके नीचे जमीन पर खून गिरा था जो कि सूख चुका था, उसके हाथ और पैर पर रस्सी से बांधे जाने के निशान थे, उसके स्तन काट दिए गए थे। 10 वर्षीय शिव का लिंग भी काट डाला गया था।
घटनास्थल की आंखों देखी-
1. जांच टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो मौके पर मिट्टी की दीवाल के सहारे बांस और पॉलीथिन का झोपड़ीनुमा घर था। यह घर मृतक फूलचंद के परिवार का है।
2. अंदर घुसने पर खून से लथपथ चारपाई मिली जिसके नीचे खून के धब्बे बहुत दूर तक फैले हुए थे।
3. दो अन्य जगह खून के धब्बे मौजूद मिले जिसके पास खून से सनी साड़ी और कुछ कपड़े भी थे।
4. घर के अंदर सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था। अचार की थाली बिखरी मिली।
5. अंदर की तरफ जाने पर कुछ खाली जगह पर सब्जियां बोयी गयी थीं।
6. उन सब्जियों के पौधों के पास में तीन किट सर्जिकल ग्लब्स (कम से कम छह जोड़ा), किट में पाइप, एक किनारे पड़ी पुरानी रस्सियां, और बिखरे हुए नए मास्क दिखाई दिये।
7. घर के पीछे का हिस्सा जिससे एक ईंटभट्टा लगा हुआ है, उधर की तरफ से दीवाल पर से कूदने के निशान थे।
8. घर की स्थिति देख कर लग रहा था कि लालचंद की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी, घर में केवल एक सिलाई मशीन, और दो स्टील के कंटेनर के अलावा रोजमर्रा के उपयोग वाली सामान्य वस्तुएं थीं।
( सबरंग हिंदी से साभार )