अंजनी जी अब आप भी चले गये…

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अपने समय के चर्चित वरिष्ठ व्यंग्यकार और मित्र अंजनी चौहान का बुधवार को भोपाल में निधन हो गया। पेशे से वह डॉक्टर थे, भोपाल के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात रहे। 1982 में कवि, कहानीकार उदय प्रकाश ने अपने घर पर अंजनी चौहान से पहली मुलाकात करवायी थी। उन दिनों उनके यहां सुदीप बनर्जी, प्रभु जोशी (इंदौर) और लगभग नियमित रूप से अंजनी चौहान आया करते थे। मैं उसी कालोनी में रहता था तो अक्सर मुलाकात होती रहती। कविता, कहानी, व्यंग्य और भोपाल के साहित्यिक जगत को लेकर चर्चाएं होती थीं। अंजनी चौहान बेलाग, बेधड़क अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते और हँसाते भी बहुत थे, और खुद भी ठहाका मारकर हँसते थे, उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती। उदय प्रकाश ‘दिनमान’ में उप संपादक होकर दिल्ली चले गये, और अंजनी जी से मुलाकातें कम हो गयीं। यदाकदा आयोजनों में भेंट होती रही। एक बार मिले तो बताने लगे कि तुम्हारे पास में पुलिस बटालियन के अस्पताल में ज्वाइन किया है, कभी आओ। मैंने कहा, अच्छा है पुलिस के इलाज के लिए कोई डॉक्टर तो मिला। जम के हँसे और कहा कि तुम भी व्यंग्य मारने लगे। साहित्य जगत में अंजनी चौहान, डॉ ज्ञान चतुर्वेदी, प्रभु जोशी की तिकड़ी मशहूर रही है।

नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद वो फेसबुक पर सक्रिय रहे। उनकी पोस्ट पर प्रतिक्रिया देता तो उनकी तरफ से विन्रमतावश या कभी मजाक में धन्यवाद, आभार की झड़ी लगा देते थे। इन दिनों उनसे वहीं मुलाकात होती रही। प्रभु जोशी का कोरोना काल में निधन हो जाने से बेहद दुखी रहे और पत्नी के बीमार रहने के कारण भी परेशान रहने लगे थे, लेकिन व्यवहार में उन्होंने अपनी परेशानियों को उजागर नहीं किया। वो कहते रहे कि होशंगाबाद रोड पर छोटा सा गरीबखाना बनाया है, आओ। अनवारे इस्लाम से चर्चा हुई कि अंजनी चौहान के घर चलना है। तय हुआ, मैं जा नहीं पाया और अंजनी चौहान चले गये। अंजनी जी जहाँ रहो व्यंग्य करते रहना, आपके जाने से व्यंग्य की क्षति हुई है, और आपके न रहने से हमेशा एक कमी।
विनम्र श्रद्धांजलि…

– बालेन्द्र परसाई


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