वाराणसी में सांप्रदायिक पोस्टरों के जवाब में ‘पैगाम-ए-मुहब्बत’

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11 जनवरी, वाराणसी। हालाँकि, गंगा नदी उन सभी की है जो इसकी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संजोते हैं, और शनिवार को एकत्रित होना इसका प्रमाण था। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, इन भेदभावपूर्ण पोस्टरों (इन पोस्टरों में गैर-हिंदुओं को घाटों पर आने से मना किया गया था) को चिपकाने वालों को भी उस संगठन द्वारा ‘दंडित’ किया गया है जिससे वे संबंधित हैं। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें संगठन छोड़ने के लिए कहा गया है, इस मामले पर शुक्रवार देर रात तक संगठनों के पदाधिकारियों की एक ऑनलाइन बैठक में चर्चा की गयी क्योंकि शहर भर में विरोध की आवाजें उठीं। हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि इन संविधान विरोधी पोस्टरों को लगानेवालों के खिलाफ पुलिस या प्रशासनिक कार्रवाई की गयी है या नहीं।

नागरिक समाज के हंगामे के बाद गंगा घाट पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों के नाम वाले पोस्टर हटा दिए गए और शुक्रवार तक ऐसा करनेवालों को उनके पद से हटा दिया गया। हालाँकि उन्हें ‘नफरत का संदेश’ प्रसारित होने के बाद हटाया गया।

उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी से 7 मार्च तक सात चरणों में मतदान होगा। राज्य के विपक्षी नेताओं के अनुसार इस तरह के पोस्टर ‘हिंदू-मुस्लिम विभाजन’ को बढ़ावा देने के साथ मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का एक और प्रयास थे। हालांकि, विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस प्रयास से संगठन को दूर रखने की कोशिश करते हुए मीडिया को बताया कि ऑनलाइन वीडियो में देखे गए दो व्यक्तियों की पहचान का पता लगाने के लिए जांच की जाएगी।

शुरू में यह दावा काशी (वाराणसी) के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार पांडे ने भी मीडिया के सामने किया था कि पुलिस “उन लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही है जिन्होंने उन पोस्टरों को लगाया था। उनके खिलाफ नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी। सभी पोस्टर हटा दिए गए हैं।” मामले की जांच भेलूपुर थाना पुलिस कर रही है। पुलिस ने मीडिया को बताया, ‘अभी तक पुलिस से कोई लिखित शिकायत नहीं की गई है। कुछ स्थानीय समूहों द्वारा इसे उजागर करने के बाद पुलिस ने इस प्रकरण पर ध्यान दिया।

रिपोर्टों के अनुसार, वीएचपी और बजरंग दल से संबंधित होने का दावा करनेवाले लोगों के वीडियो सामने आए थे और उन्होंने पोस्टर लगाने का दावा किया था। इनमें से एक थे राजन गुप्ता, जिन्होंने “विहिप के काशी महानगर मंत्री” होने का दावा किया, और कथित तौर पर कहा कि पोस्टर “सनातन धर्म का पालन नहीं करने वाले लोगों के लिए एक संदेश” थे। दूसरे निखिल त्रिपाठी ‘रुद्र’ थे, जिन्होंने “काशी के बजरंग दल के संचालक” होने का दावा किया था, और कथित तौर पर कहा था कि पोस्टर “लोगों के लिए चेतावनी था – गंगा नदी हमारी मां है, यह पिकनिक स्थल नहीं है। उन्हें यहां से दूर रहने की चेतावनी दी गई है। यदि वे दूर नहीं रहते हैं, तो बजरंग दल सुनिश्चित करेगा कि उन्हें यहाँ से दूर भेजा जाए। गैर-हिंदू घाटों की शुद्धता का उल्लंघन करते हैं। इसलिए उन्हें यह चेतावनी जारी की गई है।”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार तक पुलिस ने भेलूपुर स्टेशन पर दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया। भेलूपुर स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) रमाकांत दुबे ने मीडिया को बताया कि गुप्ता और त्रिपाठी को नोटिस दिया गया है और शांति बनाए रखने के लिए प्रत्येक को 5 लाख रुपये के निजी बांड जमा करने का आदेश दिया गया है।

यूपी में हिंदुत्व समूह सक्रिय क्यों हैं? 

दिसंबर 2021 में, क्षेत्र के सांसद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उदघाटन किया और भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्ववादी एजेंडे को केंद्र में रखते हुए सामने रखा। उन्होंने गंगा में डुबकी लगाई, पूजा की, कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था, “आतंकवादियों ने इस शहर पर आक्रमण किया है, इसे नष्ट करने की कोशिश की है! इतिहास औरंगजेब के अत्याचारों और आतंक का गवाह रहा है। उसने अपनी तलवार की शक्ति से सभ्यता को बदलने की कोशिश की, उसने चरम तरीकों का उपयोग करके संस्कृति को कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस धरती की मिट्टी औरों से अलग है। अगर औरंगजेब यहाँ आता है, तो शिवाजी उसके सामने खड़े हो जाते हैं!”

पीएम अब तक अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में लगाए गए सांप्रदायिक पोस्टरों पर चुप रहे हैं, जैसे वह अपनी पार्टी के सहयोगियों के साथ-साथ दक्षिणपंथी समूहों के सांप्रदायिक बयानों पर भी चुप हैं। भाजपा के कई नेता, हाल ही में हरिद्वार में किए गए मुस्लिम विरोधी और ईसाई विरोधी घृणास्पद भाषणों की पैरवी करते रहे हैं। भले ही उनके भड़काऊ भाषणों ने इसे वैश्विक सुर्खियों में बनाया हो, लेकिन अभी तक भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा उनकी निंदा नहीं की गई है, इसे एक ‘प्रोत्साहन’ के रूप में देखा जा सकता है जिससे ऐसी ही अराजक ताकतें प्रोत्साहित हो सकती हैं।

– सबरंग हिंदी से साभार

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