3 फरवरी। संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को दिल्ली में प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर आसन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के अपने रुख का ऐलान कर दिया। लेकिन मोर्चा ने यह भी साफ कर दिया कि वह किस पार्टी या किस उम्मीदवार को वोट दिया जाए इसकी अपील नहीं करेगा, अलबत्ता भाजपा को हराने की हमारी अपील को व्यवहार में कैसे उतारना है यह मतदाता खुद तय कर लेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को राकेश टिकैत, जोगिंदर सिंह उगराहां, योगेन्द्र यादव, डॉ दर्शनपाल, हन्नान मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल और शिवकुमार शर्मा (कक्काजी) ने संबोधित किया।
इससे पहले बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी संयुक्त किसान मोर्चा ने यही रणनीति अख्तियार की थी। लेकिन तब तीनों किसान विरोधी कानून वापस नहीं हुए थे और दिल्ली की सरहदों पर किसानों का धरना चल रहा था। अब तो वे तीनों कानून वापस हो चुके हैं फिर भाजपा को हराने की अपील क्यों? इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि सरकार के जिस लिखित आश्वासन पर धरना खत्म किया गया था उसमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है। न तो आंदोलन के दौरान किसानों और किसान आंदोलन के समर्थकों पर दर्ज मुकदमे वापस लिये गये हैं न शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा मिला है न एमएसपी के लिए सरकार ने कमेटी बनाई है। और तो और, लखीमपुर-खीरी हत्याकांड को सुनियोजित साजिश का परिणाम बतानेवाली एसआईटी की रिपोर्ट आ जाने के बाद भी अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद में बनाये रखा गया है! इस सब के मद्देनजर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 31 जनवरी को किसानों ने देश भर में विश्वासघात दिवस भी मनाया था।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि मिशन यूपी के तहत वे उत्तर प्रदेश में कम से कम 9 जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर भाजपा को हराने की अपील करेंगे और मुख्य रूप से परचे के जरिए अपनी बात गांव गांव, घर घर पहुंचाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा का परचा इस प्रकार है-